गडकरी बोले, 'कभी-कभी राजनीति छोड़ने का मन करता है ' ये बताई वजह
Nitin Gadkari: मोदी सरकार में ताकतवर मंत्रियों में से एक नितिन गडकरी ने अपने एक बयान से राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है. नागपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उन्हें कभी-कभी राजनीति छोड़ने का मन करता है,
नई दिल्ली:
Union Minister Nitin Gadkari : मोदी सरकार में ताकतवर मंत्रियों में से एक नितिन गडकरी ने अपने एक बयान से राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है. नागपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उन्हें कभी-कभी राजनीति छोड़ने का मन करता है, क्योंकि समाज के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि इस वक्त राजनीति सामाजिक परिवर्तन और विकास का वाहन बनने के बजाय सत्ता में बने रहने का जरिया बन गई है. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उन्होंने ये बातें नागपुर में गिरीश गांधी के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में कही.
गडकरी ने राजनीति का अर्थ भी समझाया
कार्यक्रम में मंच से बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस वक्त यह समझने की जरूरत है कि राजनीति शब्द का अर्थ क्या है. क्या यह समाज और देश के कल्याण के लिए है या फिर सिर्फ सरकार में बने रहने के लिए. उन्होंने कहा कि राजनीति महात्मा गांधी के युग से सामाजिक आंदोलन का एक हिस्सा रही है. लेकिन बाद में इसने राष्ट्र और विकास के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने आगे कहा कि आज हम राजनीति में जो देख रहे हैं, वह शत-प्रतिशत सत्ता में आने के बारे में है. उन्होंने कहा कि राजनीति सामाजिक-आर्थिक सुधार का एक असली साधन है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान राजनेताओं को समाज में शिक्षा, कला आदि के विकास के लिए काम करना चाहिए.
पोस्टर और गुलदस्तों से है नफरत
इस दौरान नितिन गडकरी ने समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस को भी याद किया और उनकी सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए जमकर उनकी प्रशंसा की. समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है, क्योंकि उन्होंने कभी सत्ता की परवाह नहीं की. उन्होंने एक प्रेरक जीवन शैली का नेतृत्व किया. आज हमें उनकी प्रेरक जीवन शैली से प्रेरणा लेनी चाहिए. मुझे इससे भी नफरत है जब लोग मेरे लिए बड़े-बड़े गुलदस्ते लाते हैं या मेरे लिए पोस्टर लगाते हैं.उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि जब गिरीश भाऊ राजनीति में थे तो मैं उन्हें हतोत्साहित करता था. क्योंकि कभी-कभी मैं राजनीति छोड़ने के बारे में भी सोचता हूं. राजनीति के अलावा जीवन में और भी बहुत कुछ है, जो करने योग्य है.
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