जनसंख्या नियंत्रण पर नीति आयोग तैयार करेगा ड्राफ्ट, शुक्रवार को होगी बैठक
जनसंख्या नियंत्रण का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए बैठक में चर्चा होगी. 15 august 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने भी जनसंख्या नियंत्रण का जिक्र किया था
नई दिल्ली:
जनसंख्या नियंत्रण पर शुक्रवार को सुबह 11 बजे नीति आयोग में बड़ी बैठक का आयोजन होगी. पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया विषय से जुड़े जानकर, विशेषज्ञ और अधिकारी बैठक में हिस्सा लेंगे. जनसंख्या नियंत्रण का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए बैठक में चर्चा होगी. 15 august 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने भी जनसंख्या नियंत्रण का जिक्र किया था. जनसंख्या नियंत्रण की नीति को मजबूत करने और परिवार नियोजन के कार्यक्रमों पर चर्चा होगी. इस कंसल्टेशन से निकले सुझावों पर नीति आयोग एक वर्किंग पेपर तैयार करेगा. जिसमें जनसंख्या नियंत्रण का एक व्यापक विजन होगा. देश मे अभी 1 अरब 37 करोड़ जनसंख्या है. संख्या के लिहाज से चीन के बाद दुनियां का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश भारत है.
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जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) को लेकर देश भर में अब एक नई बहस शुरू हो गई. हालांकि पीएम मोदी भी इसे आवश्यक बता चुके हैं, लेकिन क्या जनसंख्या नियंत्रण के लिए 2 चाइल्ड पॉलिसी कामयाब होगी. अगर भारत की बात करें तो बिना जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) के ही अधिकतर परिवार 2 चाइल्ड पॉलिसी के हिसाब से ही चल रहे हैं. बहुत सारे परिवार तो अब 'हम दो हमारा एक' पर आ गए हैं, फिर सबसे बड़ा सवाल ये है कि भारत के लिए 2 चाइल्ड पॉलिसी बेहतर होगा कि वन चाइल्ड पॉलिसी?
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सबसे पहले बात करते हैं आंकड़ों की नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी NFHS के 2015-16 के आंकड़ों को देखें तो जनसंख्या प्रति महिला 2.2 के करीब आ चुकी है. 2005-06 में यह 2.7 थी. यानी पहले की तुलना में अब प्रजनन दर में गिरावट आयी हैं. शहरी औरतों में यह दर 1.8 बच्चा प्रति महिला है जबकि ग्रामीण महिलाओं में 2.4. प्रजनन दर सिक्किम में सबसे कम 1.2 जबकि बिहार में सबसे ज्यादा 3.4 है. यानी बिना किसी कानून के ही शहरों में जनसंख्या नियंत्रण चल रहा है, इसकी वजह चाहे स्कूलों की फीस हो या कोई और पर 2 चाइल्ड पॉलिसी यहां तो कामयाब होने से रहा.
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अगर धर्मों के अनुसार ये आंकड़े देखें तो हिंदुओं में प्रजनन दर 2.1 है और मुस्लिमों में 2.6. अगर 1992-93 में प्रति महिला 3.8 बच्चों का औसत था. यानी करीब 30 सालों में ये संख्या करीब 1.4 कम हुई है. अच्छी बात ये है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों में बच्चे पैदा करने की संख्या का अंतर घटा है.यानी दोनों ही समुदायों ने जनसंख्या नियंत्रण करने में अपना योगदान दिया है. 1992-93 में ये अंतर सबसे अधिक 33.6 फीसदी था, जो करीब 30 वर्षों में 23.8 फीसदी हो गया है.
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