जीवन रक्षक और कैंसर की दवाएं अब होंगी सस्ती, नहीं लगेगा जीएसटी - वित्तमंत्री
जीवन रक्षक और कैंसर की दवाएं अब होंगी सस्ती, नहीं लगेगा जीएसटी - वित्तमंत्री
लखनऊ:
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज वस्तु एवं सेवा कर परिषद (जीएसटी काउंसिल) की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें जीवन रक्षक और कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं सस्ती होंगी। कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाली दवा केटरोदा पर लगने वाला जीएसटी 12 से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं बच्चों से जुड़ी जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी नहीं लगाने का फैसला किया गया है। जोलोजाइस्मा और वेलेत्सो ऐसी ही दो दवाएं हैं।केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर काउंसिल में चर्चा हुई लेकिन जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला नहीं किया गया है। इसलिए अभी पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी से बाहर ही रहेंगे। उन्होंने बताया कि कोरोना से जुड़ी चार दवाओं पर टैक्स छूट 31 दिसम्बर तक जारी रहेगी। एम्फोटेरिसिन बी और टोसिलिजुमैब पर जीएसटी नहीं लगेगा। वहीं रेमेडेसीवीर और हेपरिन जैसी कोरोना की दवाओं पर पांच प्रतिशत की रियाती दर 31 दिसम्बर 2021 तक जारी रहेगी।
उन्होंने बताया कि दिव्यांग बच्चों की गाड़ियों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा। कुपोषित बच्चों को दिए जाने वाले फोर्टिफाइड चावल पर 18 से पांच फीसद जीएसटी किया गया। तेल कंपनियों को सप्लाई होने वाले बायोडीजल पर 12 से घटाकर पांच फीसद जीएसटी किया गया है। रेलवे लोकोमोटिव पार्ट्स पर 18 फीसद जीएसटी लगेगा। रिन्यूएबल एनर्जी के कंपोनेंट पर 12 फीसद जीएसटी होगी। वहीं, आयरन, कापर, लेड, जिंक, कोबाल्ट पर 18 फीसद जीएसटी लगेगा। सभी तरह के पेन पर जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। लीज पर विमानों के इम्पोर्ट पर आईजीएसटी को दोहरे कर से मुक्त कर दिया गया है।
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करने का मुद्दा काउंसिल की बैठक में उठा। मगर ज्यादातर राज्यों ने इस पर असहमति जताई। वित्तमंत्री ने कहा कि केरल हाईकोर्ट के आदेश के चलते पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा हुई, लेकिन कई सदस्यों ने कहा कि वह विरोध में हैं।
दो मुद्दों पर बना मंत्री समूह का गठन
लगने वाली टैक्स की दरों को चिन्हित करने के लिए एक मंत्री समूह का गठन हुआ है। यह समूह दो माह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इसी तरह दूसरे मंत्री समूह का गठन ई-वे बिल फास्टटैग, टेक्नोलॉजी, पर लगने वाली टैक्स की खमियों को दूर करेगा।
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