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निर्भया का दोषी मुकेश फिर पहुंचा कोर्ट, बोला- गैंगरेप के दिन वह दिल्‍ली में ही नहीं था

फांसी के फंदे से घबराए निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya) का दोषी मुकेश एक बार फिर कोर्ट की शरण में पहुंचा है. पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया गया है कि जिस दिन निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ, उस दिन वह दिल्‍ली में ही नहीं था.

Updated on: 20 Mar 2020, 12:44 AM

नई दिल्‍ली:

फांसी के फंदे से घबराए निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya Gangrape) का दोषी मुकेश एक बार फिर कोर्ट की शरण में पहुंचा है. वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता एमएल शर्मा के माध्‍यम से पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया गया है कि जिस दिन निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ, उस दिन वह दिल्‍ली में ही नहीं था. इसलिए उसकी फांसी की सजा कैंसिल की जाए. मुकेश की याचिका में कहा गया है कि 17 दिसम्बर 2012 को दिल्ली पुलिस उसे राजस्थान से पकड़कर लाई थी. 16 दिसम्बर को वह दिल्ली में नही था.

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एक दिन पहले ही निर्भया (Nirbhaya) के तीन दोषियों पवन, अक्षय औऱ विनय ने मौत की सजा को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का रुख किया था. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से उन्होंने मौत की सजा पर रोक लगाने की मांग की है. चौथे डेथ वारंट के अनुसार, दोषियों को 20 मार्च को फांसी होनी है. इस बीच तीन दोषियों ने नया चाल चलते हुए आईसीजे से फांसी पर रोक लगाने की मांग की है.

मुकेश की अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी
एक दिन पहले सोमवार को निर्भया के दोषी मुकेश (nirbhaya culprit) की अर्जी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दी है. मुकेश ने फिर से क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने की इजाज़त मांगी थी. मुकेश और बाकी तीनों दोषियों के सभी कानूनी और संवैधानिक विकल्प खत्म हो चुके हैं. निचली अदालत ने चारों की फांसी के लिए 20 मार्च की तारीख तय की है. बता दें कि फांसी की सजा टालने के लिए निर्भया के दोषी नए-नए पैतरे आजमा रहे हैं.

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मुकेश ने फिर से क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने की इजाज़त मांगी थी
मुकेश के वकील ने सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने की इजाजत मांगी थी. मुकेश के वकील की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि निर्भया के दोषी मुकेश को हाई कोर्ट के आदेश के सात दिनों के भीतर क्यूरेटिव पिटीशन (Curative Petition) और दया याचिका पर गलत जानकारी देकर दबाव में हस्ताक्षर कराए गए. ऐसे में मुकेश को नए सिरे से क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका (Mercy Plea) दायर करने की अनुमति दी जाए.