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निर्भया के दोषी पवन की अर्जी पर तिहाड़ जेल प्रशासन से अदालत ने मांगी रिपोर्ट, क्या फिर टलेगी फांसी!

हालांकि अदालत ने गुरुवार को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस आदेश का असर निर्भया के दोषियों (Nirbhaya Convicts) की फांसी की सजा पर कतई नहीं पड़ेगा.

Updated on: 12 Mar 2020, 04:01 PM

highlights

  • पवन ने बुधवार को मंडावली जेल में मार-पीट पर एफआईआर की अर्जी दाखिल की थी.
  • इस पर अदालत ने 8 अप्रैल तक तिहाड़ जेल प्रशासन से कार्यवाही रिपोर्ट तलब की है.
  • अदालत ने 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया हुआ है.

नई दिल्ली:

फांसी (Hanging) की सजा टालने के लिए निर्भया के एक दोषी पवन का चला गया दांव उलटा पड़ता दिख रहा है. मंडावली जेल में पिटाई के मामले में दोषी पुलिसवालों पर एफआईआर (FIR) की मांग वाली अर्जी पर कड़कड़डूमा अदालत ने 8 अप्रैल तक तिहाड़ (Tihar) जेल प्रशासन से कार्यवाही रिपोर्ट तलब की है. हालांकि अदालत ने गुरुवार को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस आदेश का असर निर्भया के दोषियों (Nirbhaya Convicts) की फांसी की सजा पर कतई नहीं पड़ेगा. पवन ने अपनी अर्जी में कहा था कि दो पुलिस कर्मियों ने उसे बुरी तरह से मारा था, जिससे उसके सिर में टांके आए थे.

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20 मार्च को होनी है फांसी
इस लिहाज से देखें तो निर्भया के गुनहगारों के कानूनी दांव-पेच अब भी जारी हैं. मुकेश और विनय की अलग-अलग अर्ज़ियों के बाद पवन ने बुधवार को नया दांव चला था. पवन ने दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपने साथ जेल में हुई मारपीट की घटना का हवाला दिया. पवन ने कहा कि कोर्ट पुलिस को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच का आदेश दे. गौरतलब है कि गैंगरेप और हत्या मामले के चारों दोषियों के कानूनी और संवैधानिक विकल्प खत्म हो जाने के बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया हुआ है.

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मुकेश और विनय भी चल रहे दांव
उससे पहले दोषी अलग-अलग तरीके अपनाकर फांसी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर फिर से क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने की इजाजत मांगी है. वहीं, विनय ने उपराज्यपाल को अर्जी भेजकर सीआरपीसी की धारा 432 और 433 के तहत अपनी सजा को उम्र कैद में बदलने की दरख्वास्त की है. पवन की तरफ से कड़कड़डूमा कोर्ट में दाखिल अर्जी में पिछले साल 26 और 28 जुलाई को उसके साथ मंडावली जेल में हुई मारपीट की कथित घटना का हवाला दिया गया है. पवन का आरोप है कि दिल्ली पुलिस के दो सिपाहियों ने उसके साथ मारपीट की थी, उसका सिर फोड़ दिया गया था. उसे 14 टांके लगे थे लेकिन पुलिस ने घटना की एफआईआर दर्ज नहीं की. उल्टे बाद में उसे तिहाड़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया.

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पवन की मंशा है यह
दरअसल, मंडावली जेल का इलाका दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए, पवन ने वहां यह अर्जी दाखिल की है. सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दाखिल की गई इस अर्जी में यह मांग की गई है कि कोर्ट हर्ष विहार थाने के प्रभारी को मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे. पवन की मांग है कि आईपीसी की धारा 308 (हत्या का प्रयास), 323 (मारपीट), 506 (जान से मारने की धमकी) और 34 (एक ही उद्देश्य से अलग-अलग लोगों का किसी अपराध को अंजाम देना) के तहत एफआईआऱ दर्ज हो. साफ है कि पवन की कोशिश यह है कि अगर इस मामले में एफआईआर दर्ज होती है, तो जांच लंबी चलेगी और उस जांच के लंबित रहते उसे फांसी नहीं दी जा सकेगी.