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निर्भया केस: राष्ट्रपति को नहीं भेजी दया याचिका, फांसी की तैयारी होगी शुरू

दिल्ली के चर्चित निर्भया गैंग रेप (Nirbhaya rape case) मामले में अब अजीब मोड़ आ गया है. दोषियों ने राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका नहीं भेजी है. दोषियों ने अपनी दया याचिका (Mercy Petition) राष्ट्रपति को भेजने से इंकार कर दिया है.

Updated on: 05 Nov 2019, 10:31 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली के चर्चित निर्भया गैंग रेप (Nirbhaya rape case) मामले में अब अजीब मोड़ आ गया है. दोषियों ने राष्ट्रपति के पास अपनी दया याचिका नहीं भेजी है. दोषियों ने अपनी दया याचिका (Mercy Petition) राष्ट्रपति को भेजने से इंकार कर दिया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा नहीं खटखटाया है. ऐसे में उनके खिलाफ निचली अदालत से फांसी देने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है.
निर्भया गैंग रेप के दोषी तिहाड़ जेल (Tihar Jail) और मंडोली जेल में बंद हैं. जानकारी के मुताबिक मामले के तीनों दोषियों ने राष्ट्रपति (President) के यहां दया याचिका भेजने से इंकार कर दिया है. इस मामले में दया याचिका (Mercy petition) दाखिल करने का वक्त अब खत्म हो गया है. सूत्रों के मुताबिक दया याचिका राष्ट्रपति को नहीं भेजे जाने के बाद अब निचली अदालत को अर्जी भेजकर जेल प्रशासन दोषियों को फांसी देने की तैयारी शुरू कर देगा.

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दया याचिका दाखिल होने का वक्त खत्म
2016 के चर्चित निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. इस मामले के दोषियों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया. दोषियों ने मौत की सजा को कम करने या इससे माफी के लिए राष्ट्रपति के पास जाने से इंकार कर दिया है. तीनों मुजरिमों ने दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन को भी उनके नोटिस जा जबाव दे दिया. 29 अक्टूबर को जेल प्रशासन ने दोषियों को दया याचिका दाखिल करने संबंधी नोटिस रिसीव कराया था. इस नोटिस में प्राप्ति होने के दिन से 7 दिन के अंदर दया याचिका दाखिल करने का वक्त दिया गया था. अब यह वक्त खत्म हो चुका है.

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तिहाड़ और मंडोली जेल में बंद हैं दोषी
तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल (Sandeep Goel) ने कहा, "चार में से तीन आरोपी तिहाड़ जेल में और एक आरोपी मंडोली स्थित जेल नंबर- 14 में बंद है. चारों आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा-ए-मौत पर हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी मुहर लगाई जा चुकी है."

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उल्लेखनीय है कि चारों आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से मिली फांसी की सजा के खिलाफ याचिका डालने का अधिकार था. उसके बाद रिव्यू-पिटिशन (पुनर्विचार याचिका) भी मुजरिम डाल सकते थे. चारों ने मगर इन दो में से किसी भी कदम पर अमल नहीं किया. आरोपी सजा-ए-मौत के खिलाफ राष्ट्रपति के यहां भी इस अनुरोध के साथ याचिका दाखिल कर सकते थे कि उनकी सजा-ए-मौत घटाकर उम्रकैद में बदल दी जाए.

तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, "जेल में बंद चारों ही मुजरिमों ने खुद की सजा कम करने के लिए किसी भी कानूनी लाभ लेने संबंधी कोई कदम नहीं उठाया गया है. ऐसे में जेल की जिम्मेदारी बनती थी कि उन्हें दो टूक आगाह कर दिया जाये."

कानून के जानकारों के मुताबिक, "चारों मुजरिमों ने अगर तय समय यानि सात दिन के अंदर महामहिम के यहां दया याचिका दाखिल नहीं की. अगले कदम के रुप में तिहाड़ जेल प्रशासन यह तथ्य सजा सुनाने वाली ट्रायल कोर्ट के पटल पर रख देगा. उसके बाद ट्रायल कोर्ट कानूनन कभी भी मुजरिमों का डेथ-वारंट जारी कर सकता है. डेथ-वारंट जारी होने का मतलब मुजरिमों का फांसी के फंदे पर लटकना तय है."