निर्भया मामले (Nirbhaya Case) में ट्रायल कोर्ट ने दोषियों की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने फांसी से बचने के लिए डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग की थी. ऐसे में दोषियों को फांसी देने के लिए जारी किया गया 3 मार्च का डेथ वारंट अभी भी वैध है. हालांकि इस बीच पवन ने भी राष्ट्रपति को दया याचिका भेज दी है. ऐसे में चारों दोषियों को फांसी की सजा होगी या नहीं, इस पर अभी संशय बना हुआ है. दरअसल फांसी से बचने के लिए पवन के पास दया याचिका दायर करने का अंतिम विकल्प था. अगर आज दया अर्जी दायर न होती, तो कल सभी दोषियों को सुबह 6 बजे फांसी हो जाती. वहीं अब दया याचिका दायर होने के बाद ट्रायल कोर्ट एक बार फिर दो बजे बैठेगी और मामले को सुनेगी.
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बता दें, दोषी अक्षय ने डेथ वारंट पर रोक के लिए ट्रायल कोर्ट में जो अर्जी दाखिल की थी, उसका आधार ये था कि उसकी पहली दया अर्जी अधूरी थी, इसलिए उसने दूसरी दया याचिका दाखिल की. वहीं दोषी पवन ने इस आधार पर अर्जी दाखिल की थी कि सुप्रीम कोर्ट में उसकी क्यूरेटिव पिटीशन पेंडिग है ऐसे में फांसी नहीं होनी चाहिए. हालांकि कोर्ट ने फैसला देते वक्त अक्षय की दूसरी दया अर्जी के हवाले को नहीं माना और पवन की चूंकि आज सुबह क्यूरेटिव खारिज हो गई, एसलिये वो भी दलील खारिज हो गई. यानी कोर्ट ने अभी तक अपने पास उपलब्ध लिखित रिकॉर्ड के मुताबिक दोषियों की फांसी टालने की अर्जी खारिज की है. हालांकि इस बीच पवन के वकील ने ट्रायल कोर्ट को सूचित किया है कि पवन ने दया याचिका दायर की है जिसके बाद कोर्ट ने कहा है कि वो आज यानी दोपहर दो बजे फिर बैठेगी.
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को निर्भया के गुनहगारों को बड़ा झटका देते हुए पवन की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर दी. बाकी 3 दोषियों अक्षय, विनय और मुकेश की क्यूरेटिव अर्जी पहले ही खारिज की जा चुकी है. इसके साथ ही गुनहगारों को उपलब्ध सभी कानूनी विकल्प अब खत्म हो गए हैं.
इसके अलावा, निर्भया के दोषियों को मेडिकल रिसर्च के लिए अंगदान का विकल्प दिए जाने की बॉम्बे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज एमएफ सलदान्हा की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, अंगदान का फैसला स्वेच्छा से होता है और इस तरह के फांसी की सज़ा वाले मामलों में कोर्ट ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकता.