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भगोड़े नीरव मोदी को लाया जाएगा भारत, लंदन कोर्ट ने प्रत्यर्पण की दी इजाजत

भगोड़े नीरव मोदी को लाया जाएगा भारत, लंदन कोर्ट ने प्रत्यर्पण की दी इजाजत

Updated on: 25 Feb 2021, 04:41 PM

दिल्ली :

पंजाब नेशनल बैंक में 14 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में भगोड़ा घोषित हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता अब साफ़ हो गया है. लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत ने गुरुवार को इस पर फैसला सुना दिया. अदालत ने  फैसला देते हुए कहा कि नीरव मोदी के खिलाफ भारत में एक मामला है जिसका उसे जवाब देना है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नीरव मोदी ने सबूत नष्ट करने और गवाहों को डराने के लिए साजिश रची. कोर्ट ने उसके भारत प्रत्यर्पित किए जाने को अपनी मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने कहा कि भारत की न्यायपालिका निष्पक्ष है.  

लंदन की अदालत ने अपने फैसले में साफ़ कहा कि नीरव मोदी को मुंबई स्थित ऑर्थर रोड जेल में उचित चिकित्सकीय इलाज और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाएगी। बता दें कि नीरव मोदी ने  भारतीय जेल में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल ठीक से नहीं होने का हवाला दिया था. नीरव मोदी ने अपने खिलाफ आए प्रत्यर्पण आदेश को अदालत में चुनौती दी थी. दो साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद गुरुवार को जिला जज सैम्यूल गूजी ने फैसला सुनाया कि नीरव के खिलाफ कानूनी मामला है जिसमें उसे भारतीय अदालत में पेश होना चाहिए.

वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के जज सैमुअल गोजी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि नीरव मोदी को भारत में कई सवालों के जवाब देने है. भारत में जाने पर उसे दोषी करार दिए जाने की पूरी संभावना है. जज ने यह भी कहा कि नीरव मोदी की ओर से दिए कई बयान आपस में मेल नहीं खाते हैं. साथ ही यह भी कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि अगर उन्हें प्रत्यर्पित किया गया तो उनके साथ न्याय नहीं होगा. भारत की न्यायपालिका निष्पक्ष है. कोर्ट ने मानसिक सेहसेहत को लेकर नीरव की ओर से लगाई गई याचिका को ठुकरा दिया है.

दो साल पहले नीरव मोदी को ब्रिटेन की स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने 13 मार्च 2019 को लंदन से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से वह साउथ वेस्ट लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में कैद है. फैसला सुनने के लिए नीरव मोदी वीडियो लिंक के जरिए वैंड्सवर्थ जेल से पेश हुआ. अब अदालत के फैसले को ब्रिटेन की गृह सचिव प्रीति पटेल के पास भेजा जाएगा जो तय करेंगी कि इस मामले में हाईकोर्ट में अपील की अनुमति दी जाए या नहीं.