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बांग्लादेशी लिंक सामने आने के बाद बंगाल रेलवे स्टेशन ब्लास्ट की जांच एनआईए को

निमतिता रेलवे स्टेशन पर विस्फोट की घटना की जांच आतंकवाद निरोधक एजेंसी ने अपने हाथ में ले ली है. इसका कारण बताया जा रहा है धमाके की जांच में बांग्लादेशी लिंक का मिलना.

Updated on: 03 Mar 2021, 05:00 AM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में 13 दिन पहले निमतिता रेलवे स्टेशन पर हुए बम विस्फोट की जांच की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को संभाल ली. इस विस्फोट में प्रदेश के श्रम मंत्री जाकिर हुसैन और कई अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. एनआईए के एक प्रवक्ता ने यहां कहा कि निमतिता रेलवे स्टेशन पर विस्फोट की घटना की जांच आतंकवाद निरोधक एजेंसी ने अपने हाथ में ले ली है. इसका कारण बताया जा रहा है धमाके की जांच में बांग्लादेशी लिंक का मिलना. 17 फरवरी को निमतिता रेलवे स्टेशन पर हुए बम विस्फोट में हुसैन सहित कम से कम 22 लोग घायल हो गए थे.

यह मामला शुरू में मोहम्मद अल्लारखा के बयान पर मुर्शिदाबाद जिले में अजीमगंज जीआरपी थाने में अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की कई धाराओं के तहत प्राथमिकी के रूप में दर्ज किया गया था. पुलिस के अनुसार हुसैन पर उस समय बम फेंका गया, जब वह रात करीब 10 बजे कोलकाता जाने वाली ट्रेन में चढ़ने के लिए निमतिता रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफॉर्म पर इंतजार कर रहे थे. मंत्री और दो अन्य घायलों को पहले जंगीपुर के अनुमंडलीय अस्पताल, फिर कोलकाता के एक अस्पताल में ले जाया गया. हुसैन को कथित तौर पर शरीर के बाएं हिस्से में चोट लगी.

बम विस्फोट की घटना के एक दिन बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद जिले में बम हमले के पीछे 'साजिश' की ओर इशारा किया, जिसमें उनके श्रममंत्री गंभीर रूप से घायल हो गए. पश्चिम बंगाल सरकार ने 18 फरवरी को हमले की जांच सीआईडी को सौंप दी थी. भारतीय रेलवे ने निमतिता रेलवे स्टेशन पर बम विस्फोट को एक 'दुर्भाग्यपूर्ण' घटना बताया था और कहा था कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है और राज्य पुलिस इसके लिए जिम्मेदार है. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में 294 सदस्यों वाले विधानसभा के लिए मतदान आठ चरणों में 27 मार्च, 1 अप्रैल, 6 अप्रैल, 10 अप्रैल, 17 अप्रैल, 22 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को होगा. मतदान 2 मई को होगा. जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच वाक्युद्ध तेज होने लगे हैं.