सुकमा नक्सल हमले में घायल हुए जवान के इलाज में लापरवाही पर मानवाधिकार आयोग ने नोटिस जारी किया है। मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव और एम्स के डायरेक्टर को नोटिस भेजा है।
मानवाधिकार आयोग का आरोप है कि 2014 में सुकमा के नक्सली हमले में घायल हुए सीआरपीएफ के जवान मनोज सिंह तोमर इलाज के लिए भटक रहे हैं और अस्पताल प्रशासन उनको इलाज देने के बजाय लापरवाही बरत रहा है।
क्या है मामला
2014 में सुकमा के नक्सली हमले में 17 सीआरपीएफ के जवान मारे गए थे। इस हमले में मध्य प्रदेश मुरैना के रहने वाले मनोज सिंह तोमर एकलौते ऐसे जवान थे जो जिंदा बच गए थे। उनके पेट में सात गोलियां लगीं, जान बच गई लेकिन बेहतर इलाज के अभाव में मनोज पेट से बाहर निकली आंत पॉलीथिन में लपेटकर जीवन बिताने को मजबूर हैं।
आज यह जवान इलाज के लिए दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है।
मनोज की आंख की रोशनी भी चली गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी आंख की रोशनी फिर से आ सकती है और आंत भी दोबारा पेट में डाली जा सकती हैं, लेकिन इसके लिए करीब 5 से 7 लाख रुपए की जरूरत है। मनोज के पास इतने पैसे नहीं है, यही कारण है कि वह पिछले चार सालों से इतना कष्टदायक जीवन जीने को मजबूर हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिहं ने मनोज कुमार को 10 रुपए की आर्थिक सहायता और उनके भाई के लिए नौकरी का एलान किया है।
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Source : News Nation Bureau