राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की ओर से नियुक्त की गई कमेटी ने कहा है कि पिछले साल श्री श्री रविशंकर की 'आर्ट ऑफ लिविंग' संस्था की ओर से दिल्ली में यमुना के किनारे आयोजित कराए गए 'वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल' से प्रभावित हुए स्थल को दोबारा से पुरानी स्थिति में लाने में 13.29 करोड़ रुपये लगेंगे।
यही नहीं, साथ ही इसे पूरा करने 10 साल का वक्त लगेगा। एनजीटी की एक्सपर्ट कमेटी के प्रमुख और जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर ने प्राधिकरण को बताया है कि प्रभावित स्थल पर सुधार के लिए बड़े स्तर पर काम करने की जरूरत है।
कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है, 'अनुमान के मुताबिक इस कार्यक्रम से यमुना नदी के पश्चिम में करीब 300 एकड़ और पूर्वी ओर करीब 120 एकड़ जमीन प्रभावित हुई है।'
साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन को बराबर करने और जहां प्रमुख स्टेज बनाया गया, वहां बड़ी मात्रा में बाहर से लाए ईट पत्थरों और दूसरे ऐसे सामानों का प्रयोग हुआ तो नदी के वातावरण के लिहास से ठीक नहीं है।
कमेटी ने अपनी 47 पन्नों की रिपोर्ट में यह भी कहा है कि तीन दिनों के कार्यक्रम की वजह से नदी के किनारे वाली जगहों पर पेड़ों, घास, जानवरों के रहने के स्थल, पानी में पनपने वाले वनस्पति को खासा नुकसान पहुंचा।
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बता दें कि ऑर्ट ऑफ लिविंग की ओर से यह कार्यक्रम पिछले साल 11 मार्च से 13 मार्च के बीच आयोजित किया गया था। उस समय भी आयोजन स्थल को लेकर खूब विवाद हुआ था और आर्ट ऑफ लिविंग पर पांच करोड़ का जुर्माना भी लगा था।
हालांकि, इसके बाद भी संस्था ने कार्यक्रम को वहीं कराने का फैसला किया। साथ ही संस्था की ओर से यह घोषणा भी की गई अगले 'वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल' का आयोजन ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में किया जाएगा।
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HIGHLIGHTS
- पिछले साल मार्च में दिल्ली में यमुना के किनारे हुआ था तीन दिनों का कार्यक्रम
- देश-विदेश से लाखों लोगों ने लिया था इसमें हिस्सा, पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
- एनजीटी की कमेटी ने कहा- यमुना फ्लडप्लेन को हुआ नुकसान, सुधारने में लगेंगे 13 करोड़ से ज्यादा
Source : News Nation Bureau