सलाहकार के रूप में छह विधायकों की नियुक्ति पर उठ रहे विवाद को देखते हुए, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्पष्ट किया है कि उनमें से किसी को भी कैबिनेट मंत्री या राज्य मंत्री का दर्जा नहीं मिलेगा।
रविवार को मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा कि हम सरकार चला रहे हैं और हम जानते हैं कि किसे सलाहकार बनाया जा सकता है और किसे नहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अभी तक सलाहकारों को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया है क्योंकि हम कोई अनावश्यक विवाद नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन अगर मैं किसी की सलाह लेता हूं, तो समस्या कहां हो सकती है? मैं किसी भी मुद्दे पर किसी से भी सलाह ले सकता हूं और किसी पत्रकार, साहित्यकार या किसी और को अपना सलाहकार बना सकता हूं।
मुख्यमंत्री के इस बयान से कयास लगाए जा रहे हैं कि अब संसदीय सचिवों की नियुक्तियों पर भी संकट आ सकता है।
गौरतलब है कि सीएम ने छह विधायकों को मीडिया सलाहकार नियुक्त किया है। ये वे लोग थे जो कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से नाखुश थे।
हालांकि राजस्थान भाजपा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के छह मीडिया सलाहकारों की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है।
मीडिया सलाहकार के रूप में नियुक्त किए गए लोगों में डॉ जितेंद्र सिंह, डॉ राजकुमार शर्मा, दानिश अबरार और तीन निर्दलीय, संयम लोधा, बाबूलाल नागर और रामकेश मीणा शामिल हैं।
हालांकि, भाजपा के उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने कहा कि ये पद असंवैधानिक हैं और उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा को पत्र लिखकर नियुक्तियों पर सवाल उठाया है।
दरअसल राठौड़ ने इस मामले को कोर्ट तक ले जाने की चेतावनी भी दी है।
उन्होंने कहा कि सीएम ने बस निराश लोगों को खुश करने के लिए पोस्ट बांटी है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191ए के अनुसार, विधानसभा में कानून पारित किए बिना लाभ के लिए सलाहकारों की नियुक्ति असंवैधानिक है और ऐसी नियुक्तियां कभी नहीं की जा सकती हैं।
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Source : IANS