कसाब को पकड़ने वाले शहीद के नाम पर पड़ा मकड़ी की नई प्रजाति का नाम
सनप ने बताया, यह नाम कुंभार के दोस्त कमलेश चोलके की याद में है, जो हमें मकड़ियों की विभिन्न प्रजातियों को इकट्ठा करके उपलब्ध कराते थे. इसमें अद्वितीय शरीर पैटर्न और जननांग हैं जो अन्य मकड़ियों में नहीं देखे जाते.
highlights
- मकड़ी की नई प्रजाति का नाम कसाब को पकड़ने वाले शहीद के नाम पर पड़ा
- प्रकृतिवादियों के एक समूह ने 26/11 के शहीद तुकाराम जी
- मकड़ी की इस नई प्रजाति को ओंबले के नाम पर समर्पित करने का फैसला किया है
मुंबई:
प्रकृतिवादियों के एक समूह ने 26/11 के शहीद तुकाराम जी. ओंबले की याद में ठाणे के कल्याण इलाके में खोजी गई मकड़ी की एक नई प्रजाति का नाम मार्मिक भाव में रखा है. मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के दौरान अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था. अहमदाबाद के फोटोग्राफर और वन्यजीव उत्साही ध्रुव प्रजापति ने कहा कि नई 'जंपिंग स्पाइडर' नर लिंग-प्रजाति, जो पिछले साल कल्याण शहर के एक शहरी इलाके में पाई गई थी, को मकड़ी 'आइसियस तुकारामी' नाम दिया गया है. राजेश सनप, सोमनाथ कुंभार और जॉन कालेब के एक अन्य समूह ने मुंबई के आरे कॉलोनी में और 50 किलोमीटर दूरकल्याण में एक और अज्ञात मकड़ी की प्रजाति की खोज की थी और इसे क्रमश: 2017 और 2019 में 'फिंटेला चोलके' नाम दिया था.
सनप ने बताया, यह नाम कुंभार के दोस्त कमलेश चोलके की याद में है, जो हमें मकड़ियों की विभिन्न प्रजातियों को इकट्ठा करके उपलब्ध कराते थे. इसमें अद्वितीय शरीर पैटर्न और जननांग हैं जो अन्य मकड़ियों में नहीं देखे जाते. नवीनतम खोजों का वर्णन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पत्रिका 'अथ्रेपोडा सिलेक्टा' में प्रकाशित शोधपत्र में किया गया है. प्रजापति और रवि दत्त कंबोज (दोनों गुजरात पारिस्थितिक शिक्षा और अनुसंधान फाउंडेशन), सनप और कालेब (भारतीय पारिस्थितिक एवं पर्यावरण संस्थान के) और कुंभार, जिन्होंने सावधानीपूर्वक दोनों प्रजातियों को जंगल से एकत्र किया, ने संयुक्त रूप से शोधपत्र प्रस्तुत किया है.
मुंबई 26/11 के नायक के नाम पर मकड़ी की प्रजाति का नाम रखने के बारे में प्रजापति ने कहा कि 26-28 नवंबर, 2008 को दक्षिण मुंबई में जब 60 घंटे की घेराबंदी थी, उस दौरान ओंबले द्वारा प्रदर्शित असाधारण वीरता और बहादुरी से वह बहुत प्रभावित हैं. भारतीय सेना का एक पूर्व सैनिक 54 वर्षीय ओंबले, सतारा के रहने वाले थे. सेना से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने 1991 में वह पुलिस सेवा में शामिल हुए. डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन से जुड़े ओंबले को सहायक पुलिस उप-निरीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था. 27 नवंबर के तड़के जब आतंकी गतिविधियां चरम पर थीं, उन्हें गिरगांव चौपाटी के एक चेक-पोस्ट पर तैनात किया गया था.
इसके तुरंत बाद, भारी हथियारों से लैस कसाब और उसके सहयोगी अबू इस्माइल को एक चोरी हुए स्कोडा में सुनसान मरीन ड्राइव की ओर जा रहा था, लेकिन उसे चौपाटी के पास ट्रैफिक पोस्ट पर रोक दिया गया. खून के प्यासे दो आतंकियों की अंधाधुंध फायरिंग और ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों की जवाबी कार्रवाई में इस्माइल को गोली मार दी गई. ओंबले ने कसाब को जिंदा पकड़ लिया. वह एके-47 से चलाई गई 40 से अधिक गोलियां झेलने के बावजूद उस पर काबू पाने में कामयाब रहे. हालांकि, बाद में उन्हहोंने दम तोड़ दिया.
उनकी वीरता एक किंवदंती बन गई. उन्हें शहीद घोषित किया गया और 2009 में देश के सर्वोच्च शांति-सम्मान, अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. प्रजापति ने कहा, उनकी यादों और निडरता को लोगों के दिमाग में जिंदा रखने के लिए मैंने मकड़ी की इस नई प्रजाति को ओंबले के नाम पर समर्पित करने का फैसला किया है.
इससे पहले, प्रजापति ने दो भारत रत्नों - पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और क्रिकेट उस्ताद सचिन तेंदुलकर के नाम पर कई नई मकड़ी प्रजातियों का नाम रखा है. इसके अलावा, कश्मीरी शहीद और भारतीय सेना के जवान नाजी अहमद वानी के नाम पर प्रजातियों का नाम रखा है, जिन्हें 2018 में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों द्वारा मार दिया गया था और उन्हें अशोक चक्र (2019) पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
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