New Parliament Building Inauguration : देश की नई संसद के उद्घाटन को लेकर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह से दूरी बनाने का ऐलान किया है, जबकि एनसीडी घटक समेत 25 दल इसमें शामिल होंगे. विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री द्वारा कल नए संसद भवन के उद्घाटन करने पर ऐतराज जताया है. उनका कहना है कि राष्ट्रपति के हाथों से नई संसद का उद्घाटन होना चाहिए, पीएम मोदी से नहीं... इस बीच विपक्षी पार्टियों के मतों से इतर गुलाम नबी आज़ाद ने बड़ा बयान दिया है.
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डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में अगर होता तो नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में जरूर जाता. मैं केंद्र सरकार को रिकॉर्ड समय में नई संसद बनाने के लिए बधाई देता हूं. विपक्ष भी सरकार को बधाई देती, लेकिन वह बहिष्कार कर रहा है. मैं इस विवाद के खिलाफ हूं. राष्ट्रपति भी कौन सा विपक्ष का है? वह भी भाजपा के सांसदों द्वारा चुने गए हैं.
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नए संसद भवन के उद्घाटन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पुराना इतिहात बदल देंगे? क्या जो इतिहास है आप उसे भुला देंगे? इन्हें (भाजपा) इतिहास बदलना है, इसलिए हर चीज बदल रहे हैं. आखिरकार नया (नया संसद भवन) बनाने की क्या जरूरत थी. वहीं, यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि नई संसद से ज्यादा जरूरी लोकतांत्रिक परंपराओं को बढ़ाया और निभाया जाए. जो लोग विपक्ष का सम्मान नहीं करते हैं, जो नफरत से राजनीति करते हों और जो लोगों से झूठ बोले और उसको छुपाने के लिए एक-एक कार्यक्रम करें. उनके कार्यक्रमों में जाने से क्या फायदा?