नई शिक्षा नीति का दक्षिण के राज्यों में विरोध, मनसे ने कहा 'हिंदी हमारी मतृभाषा नहीं'
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में हिंदी समेत 3 भाषाओं का प्रस्ताव रखे जाने का महाराष्ट्र में विरोध शुरू हो गया है.
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में हिंदी समेत 3 भाषाओं का प्रस्ताव रखे जाने का महाराष्ट्र में विरोध शुरू हो गया है. अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रवक्ता ने रविवार को ट्वीट करके कहा है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है इसलिए जबरन इसे हमपर थोपा न जाए.
इससे पहले नई शिक्षा नीति का तमिलनाडु में भी विरोध हुआ. द्रमुक नेता एमके स्टालिन ने इस फैसले को लेकर कहा कि यह देश को बांटने वाली नीति है. तमिलनाडु में कई राजनीतिक दलों ने इस ड्राफ्ट का विरोध करते हुए कहा है कि हिंदी जबरन हम पर थोपी नहीं जा सकती.
यह भी पढ़ें- अब ममता बनर्जी को Get Well Soon के कार्ड भेजेगी BJP, ये है वजह
द्रमुक नेता एमके स्टालिन ने कहा कि प्री स्कूल से 12वीं तक हिंदी पढ़ाए जाने का प्रस्ताव चौंकाने वाला है. इससे देश का विभाजन हो जाएगा. 1968 से राज्य में केवल दो भाषाओं के फॉर्मूले पर शिक्षा नीति चल रही है. तमिलनाडु में केवल तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है. हिंदी को जबरन नहीं थोपना हम स्वीकार नहीं करेंगे.
कमल हासन ने किया विरोध
मक्कल निधि मय्यम के प्रमुख कमल हासन ने कहा था कि चाहे भाषा हो या कोई परियोजना हो. अगर हमें पसंद नहीं है तो इसे थोपा नहीं जाना चाहिए. हम इसके खिलाफ कानूनी विकल्प की तलाश करेंगे. तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री केए सेनगोट्टइयन ने कहा है कि दो भाषाओं के फॉर्मूले में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
यह भी पढ़ें- ममता बनर्जी ने बीजेपी दफ्तर का ताला तुड़वाया, टीएमसी का नाम और निशान पेंट किया
हमारे राज्य में केवल तमिलनाडु और अंग्रेजी भाषा में ही शिक्षा दी जाएगी. इस मामले पर डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा और क्षेत्रीय आकांक्षा का नारा दिया है. संसद सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय समस्याओं पर पहले ध्यान दिया जाना चाहिए. जहां तक हिंदी को थोपने का सवाल है इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.
यह रिपोर्ट है, प्रस्ताव नहीं: सरकार
मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी है. यह कोई प्रस्ताव नहीं है. लोगों की राय को ध्यान में रखा जाएगा. यह गलतफहमी है कि रिपोर्ट को पॉलिसी बना दिया गया है. किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जा रही है.
ये है विवाद
मसौदे में प्रस्ताव दिया गया है कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी-अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य क्षेत्र की भाषा में शिक्षा दी जाए. वहीं, गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों में हिंदी और अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय भाषा की शिक्षा दी जाए. इसी रिपोर्ट का दक्षिण भार में राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा