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पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है चीन

पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है चीन

Updated on: 30 Oct 2021, 09:10 PM

बीजिंग:

जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है जो दुनिया के सभी देशों के लिए सहयोग करने और प्रतिस्पर्धा नहीं करने और अपने संबंधों को फिर से तय करने के लिए एक बड़ी संभावना प्रदान करता है। इस समय पूरी दुनिया पर्यावरण और अन्य गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के गंभीर खतरों का सामना कर रही है। चूंकि कोई भी देश पर्यावरणीय जोखिमों से मुक्त नहीं है, इसलिए सभी देशों के लिए बहुत जरूरी हो गया है कि वे पर्यावरण के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक कारणों से उत्पन्न होने वाले गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करें। वहीं, चीन जलवायु परिवर्तन जैसे सामान्य मुद्दों को हल करने के लिए कई देशों को एक साथ लाने के वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है। इसके लिए वह परमाणु, जल और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाएगा। साथ ही, कोयले पर आधारित मौजूदा संयंत्रों पर अपनी निर्भरता कम करेगा।

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सितंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा की बैठक में वादा किया कि उनके देश में 2030 तक कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन अपने चरम पर रहेगा और उसके बाद ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती कर उसे 2060 तक शून्य तक लाया जाएगा। हालांकि, आर्थिक विकास की गति बरकरार रखते हुए जलवायु परिवर्तन का ध्यान रखना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सितंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा की बैठक में वादा किया कि उनके देश में 2030 तक कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन अपने चरम पर रहेगा और उसके बाद ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती कर उसे 2060 तक शून्य तक लाया जाएगा। इससे स्पष्ट हो जाता है कि चीन पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए गंभीर और प्रतिबद्ध है। दो हरित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, चीन ने पर्यावरण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया है और हरित और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा दे रहा है। यहां तक कि कोविड-19 महामारी ने भी चीन की हरित नीतियों को प्रभावित नहीं किया है।

कई विशेषज्ञ पर्यावरण और पारिस्थितिकी को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अति आवश्यक मानते हैं। वैज्ञानिक पहले ही यह चिंता व्यक्त कर चुके हैं कि अगर तुरंत कुछ नहीं किया गया तो दुनिया को बचाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा।

चीन का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट आर्थिक समृद्धि और राष्ट्रों की भलाई के लिए खतरा हैं। उस खतरे को बेअसर करने के लिए, चीन ने आंतरिक संरचनात्मक समायोजन करके, स्थिरता प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत नीतिगत ढांचा तैयार किया है।

चीन ने पिछले दो दशकों में ऊर्जा संक्रमण में उल्लेखनीय प्रगति की है, और इसका स्टेट ग्रिड अल्ट्रा-हाई वोल्टेज बिजली संचरण प्रौद्योगिकी में एक वैश्विक दिग्गज बन गया है, जिससे अक्षय ऊर्जा का तेजी से वितरण हो सके। चीन ने अन्य हरित ऊर्जा क्षेत्रों में भी काफी प्रगति की है।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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