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सांस्कृतिक अवशेष बहाली में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में सक्रिय चीन

सांस्कृतिक अवशेष बहाली में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में सक्रिय चीन

Updated on: 17 Jul 2021, 06:20 PM

बीजिंग:

यूनेस्को के 44वीं विश्व विरासत महासभा 16 जुलाई को चीन के फूच्येन प्रांत के फूचो शहर में उद्घाटित हुई। वर्ष 1985 में चीन ने विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत संरक्षण के कन्वेंशन में भाग लिया। अब तक पूरे चीन में 55 विश्व विरासतें मौजूद हैं। चीन ऐसे देशों में शामिल हो गया है, जहां विश्व विरासतों की श्रेणियां दुनिया में सबसे अधिक हैं।

पिछले अधिक साल से विश्व विरासतों के संरक्षण में चीन ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया है। विश्व विरासतों के संरक्षण में चीन यूनेस्को की ह्लअफ्रीका फस्र्टह्व रणनीति का समर्थन करता है और अफ्रीका में विरासत की रक्षा में मदद करता है। इसके अलावा चीन ने कंबोडिया, केन्या और नेपाल आदि देशों को विरासतों की रक्षा और मरम्मत कार्यों में मदद दी है।

नेपाल की राजधानी काठमांडू के दरबार स्क्वायर के नौ मंजिला मंदिर यानी बसंतपुर टावर का इतिहास 400 साल से अधिक पुराना है, जो नेपाल की काठमांडू घाटी विश्व विरासत का महत्वपूर्ण भाग है। 2015 में नेपाल में 8.1 तीव्रता का भूकंप आया था। इस भूकंप में बसंतपुर टावर को बहुत नुकसान पहुंचा।

अगस्त 2017 में चीन सरकार ने नेपाल की सहायता कर बसंतपुर टावर की मरम्मत परियोजना आरंभ की। यह न केवल नेपाल की सहायता के लिये चीन सरकार की सांस्कृतिक अवशेषों की नि:शुल्क बहाली परियोजना है, बल्कि नेपाल में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक अवशेषों की बहाली के लिये चीन की पहली विदेशी सहायता परियोजना भी है।

चीनी सांस्कृतिक विरासत अनुसंधान संस्थान के उप प्रभारी क्सू यान ने कहा कि संपर्क और सहयोग चीन व नेपाल दोनों पक्षों के सांस्कृतिक विकास के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीन चीन के युआन राजवंश में नेपाली शिल्पकार अनिगो ने पेइचिंग के सफेद मीनार मंदिर यानी मियाओइंग मंदिर समेत अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के निर्माण में भाग लिया। चीन सांस्कृतिक विरासतों वाला बड़ा देश है।

कंबोडिया, केन्या, नेपाल और अन्य देशों से सहयोग करने के अलावा विश्व विरासत संरक्षण क्षेत्र में चीन ने बेल्ट एंड रोड प्रस्ताव के सदस्य देशों से सहयोग करना आरंभ किया है। अब तक संयुक्त पुरातत्व और विश्व विरासत संरक्षण सहयोग क्षेत्रों में चीन ने मिस्र, सऊदी अरब, ईरान, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार और उज्बेकिस्तान आदि देशों से सहयोग किया है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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