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शैक्षणिक क्षेत्र में चीन और भारत की अपनी-अपनी श्रेष्ठता

शैक्षणिक क्षेत्र में चीन और भारत की अपनी-अपनी श्रेष्ठता

Updated on: 02 Dec 2021, 07:50 PM

बीजिंग:

शिक्षा क्षेत्र में चीन व भारत के पास अपने फायदे हैं और ये फायदे एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों पक्षों को संचार व सहयोग को मजबूत करना, वैश्विक शिक्षा प्रशासन में सक्रिय भाग लेना और वैश्विक शिक्षा सुधार को संयुक्त रूप से बढ़ाना चाहिये। ताकि वे दोनों देशों, एशिया प्रशांत क्षेत्र और पूरी दुनिया को लाभ पहुंचा सकें। 1 दिसंबर को सीएमजी के संवाददाता के साथ इंटरव्यू में पेइचिंग नॉर्मल विश्वविद्यालय के चीन शिक्षा नवाचार अनुसंधान संस्थान के प्रभारी प्रोफेसर ल्यू च्यान ने यह बात कही।

प्रोफेसर ल्यू च्यान ने कहा कि भारतीय शिक्षा कार्यों के अपने अनूठे फायदे हैं। पहला, भारत के उच्च शिक्षा चरण में एआई और सॉफ्टवेयर आदि उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में शैक्षिक कार्य बहुत सफल रहे हैं। दूसरा, भारत के अभिजात्य शिक्षा चरण में आधुनिक प्रबंधन ज्ञान की लोकप्रियता और आधुनिक प्रबंधन साक्षरता व विकास बहुत अच्छा रहा है। इसका मतलब है कि अभिजात्य शिक्षा में आधुनिक प्रबंधन शिक्षा को लोकप्रिय बनाना भारतीय शिक्षा की एक बहुत महत्वपूर्ण विशेषता है। दुनिया भर में बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बड़े पदों पर काम करने वाले भारतीय लोगों का अनुपात काफी अधिक है। इन चीजों में चीन को भारत से सीखना चाहिये।

वहीं, चीनी शिक्षा के फायदे ये हैं कि चीन में समान शिक्षा व्यवस्था लागू की जाती है। देश भर में सभी लोग उत्कृष्ट बुनियादी शिक्षा के अवसरों तक समान पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। पिछले 40 सालों से चीन स्कूली उम्र के सभी बच्चों के लिए नौ साल की अनिवार्य शिक्षा रणनीति का पालन जारी रखे हुए है। इस तरह चीन की राष्ट्रीय शिक्षा के लिए एक अच्छी नींव रखी गयी है। चीनी बुनियादी शिक्षा चरण में चीन लगातार सुधार कर रहा है। चीन की बुनियादी शिक्षा और अनिवार्य शिक्षा का आधार बहुत ठोस है। इस तरह चीन और भारत इस क्षेत्र में एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

प्रोफेसर ल्यू च्यान ने आगे कहा कि आपसी पड़ोसी देशों के रूप में चीन और भारत के बीच मानविकी आदान-प्रदान मजबूत हो रहा है। हर वर्ष बहुत ज्यादा भारतीय छात्र अध्ययन करने के लिये चीन में आते हैं। जब वे चीन में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि चीन और भारत सांस्कृतिक रूप से परस्पर जुड़ते हैं। दोनों देशों की राष्ट्रीय प्रणालियां अलग-अलग हैं, लेकिन दुनिया रंगीन है। चीन की राष्ट्रीय प्रणाली चीन के लिए सबसे उपयुक्त है और भारत के लिए भारतीय प्रणाली। चीन में अध्ययन करने के दौरान भारतीय छात्र चीनी संस्कृति व चीनी प्रणाली को समझकर आपसी समझ व संचार को मजबूत कर सकते हैं। ताकि वे चीन-भारत संबंधों को बढ़ावा देने और दोनों देशों के बीच मतभेदों को खत्म करने में मदद कर सकें।

गौरतलब है कि 2021 चीन को समझें नामक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 1 से 4 दिसंबर को दक्षिण चीन के क्वांगचो में आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन के दौरान शिक्षा और स्वस्थ चीन-जीवन-स्वास्थ्य और चीनी भविष्य शिक्षा के विषय पर मंच आयोजित हुआ। इस मंच में चीनी अधिकारियों, शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, विद्वानों और चीनी प्राथमिक व मध्य स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों के अध्यक्षों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और गहन चर्चा की।

(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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