कुछ दिन के बाद अमेरिका के नेतृत्व में तथाकथित लोकतंत्र शिखर बैठक आयोजित होगी। अमेरिका द्वारा बनायी गयी भागीदारों की सूची में लिथुआनिया का नाम भी शामिल है। यह हास्यास्पद है। मानवाधिकार क्षेत्र में लिथुआनिया का बुरा रिकार्ड सबको मालूम है।
लिथुआनिया में यहूदी और अन्य अल्पसंख्यक गंभीर भेदभाव के शिकार हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 के मध्य तक लिथुआनिया के यहूदी समुदाय में नागरिकों की संख्या घटकर 4 हजार के नीचे हो गयी थी। लिथुआनिया और अमेरिकी सीआईए द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित गुप्त जेल में बंधकों के साथ बुरा व्यवहार और मनमानी हिंसा की जाती है।
लिथुआनिया के पास लोकतंत्र का संरक्षक बनने की कोई पात्रता नहीं है। उसे आत्म निरीक्षण कर अपनी गलती सुधारते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक जवाब देना चाहिए।
मानवाधिकार समेत विभिन्न पक्षों में अमेरिका और लिथुआनिया जैसे देशों के तमाम बुरे रिकॉर्ड हैं। तथाकथित लोकतंत्र शिखर बैठक से सिर्फ अमेरिका के निर्देशन में एक राजनीतिक तमाशा होगा।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)
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Source : IANS