logo-image

उजाड़ द्वीप पर एक स्त्री व 32 पुरुषों की सही कहानी

उजाड़ द्वीप पर एक स्त्री व 32 पुरुषों की सही कहानी

Updated on: 17 Sep 2021, 09:40 PM

बीजिंग:

इस लेख में हम द्वितीय विश्व युद्ध में हुई एक सही कहानी बताते हैं। एक स्त्री और 32 पुरुषों ने एक उजाड़ द्वीप पर छै साल तक जीवन बिताया। इसके दौरान उन पुरुषों ने द्विप पर एकमात्र महिला के लिये लड़ने में एक दूसरे को मार डाला।

अनाताहन द्वीप प्रशांत महासागर के मारियाना द्वीप समूह में स्थित एक छोटा सा द्वीप है। कहानी तो इस छोटे द्वीप पर हुई है। पहले वहां कोई आदमी नहीं रहता था। पर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक जापानी कंपनी ने नारियल पेड़ उगाने के लिये इस द्वीप पर लोग भेजे। इसलिये कहानी की मुख्य पात्रा काजुको हिगा और उन के पति इस उजाड़ द्वीप पर पहुंचे। एक बार पति कुछ काम के लिये द्वीप से रवाना होकर बाहर गये। दुर्भाग्यवश प्रशांत पर अमेरिका-जापान युद्ध ज्यादा से ज्यादा तीव्र बन गया, और युद्ध जल्द ही इस द्वीप में फैल गया। जब काजुको के पति को यह खबर मिली कि अमेरिकी सेना ने अनाताहन द्वीप पर बमबारी की, तो उन के ख्याल से काजुको जरूर मर गयी होगी। इसलिये पति द्वीप पर वापस नहीं लौटे। लेकिन उधर काजुको अपने पति का इंतजार कर रही थीं।

कुछ दिनों के बाद अनाताहन द्वीप के आसपास कई जापानी परिवहन जहाज अमेरिकी सेना द्वारा किये गये हमले में समुद्र में डूब गये। उन जहाजों पर सवार सैनिकों व नाविकों समेत उत्तरजीवी इस द्वीप पर पहुंचे। जिससे 32 पुरुषों व एक महिला समेत 33 जापानी लोगों का अतुल्य जीवन शुरू हुआ। हालांकि शुरू में वे शांतिपूर्ण रूप से जीवन बिता सकते थे, लेकिन धीरे धीरे काजुको के प्रति सभी पुरुष अपनी यौन इच्छा को दबा नहीं सकते थे। उनका हर जगह पुरुषों का उत्पीड़न है। खास तौर पर जब उन लोगों ने पाया कि एक अमेरिकी बमवर्षक द्वीप पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ है, और किसी ने विमान पर पिस्तौल और गोलियां लायी हैं, तो स्थिति अधिक से अधिक नियंत्रण से बाहर हो गई। फिर द्वीप पर बारी बारी इस नाटक की प्रस्तुति होती थी कि पिस्तौल किस पुरुष के हाथ में है, तो काजुको को उनकी पत्नी बननी होगी। साथ ही कोई न कोई पुरुष अजीब तरह से मर जाएगा। इसके बाद वह पिस्तौल धारक भी अजीब कारण से मर जाएगा।

अंत में सभी पुरुषों का माना है कि काजुको तो इस द्वीप पर अस्थिरता की वजह है। इसलिये उन्होंने काजुको को मारने का फैसला किया। लेकिन एक पुरुष ने काजुको को चुपचाप से यह खबर सुनायी। इसलिये काजुको पुरुषों की कार्रवाई से पहले भागकर वन में छिप गयी। बाद में इस द्वीप से गुजरते हुए एक अमेरिकी जंगी जहाज ने उन्हें बचाया। आखिर वे नरक जैसा अनाताहन द्वीप छोड़ दिया।

यह सचमुच मानव की कल्पना से परे एक काल्पनिक कहानी ही है। लेकिन इस कहानी से हमें एक युद्धप्रिय राष्ट्र की प्रकृति भी दिखाई देती है।

इस छोटे निर्जन द्वीप पर उन जापानी लोगों को शांतिपूर्ण जीवन बिताना चाहिये था, जैसे पांडव और द्रौपदी एक सुनसान जगह पर अपना खुशहाल समाज का निर्माण करते थे। लेकिन वे अपनी-अपनी इच्छाओं और जंगी स्वभाव के कारण एक-दूसरे को मारने लगे। अगर हम जापान के काले इतिहास को देखें, तो लोग इस राष्ट्र के जंगी, स्वार्थी और ठंडे स्वभाव के बारे में जानेंगे। चीन के खिलाफ आक्रमण युद्ध के दौरान जापान ने दुखद नानचिंग नरसंहार किया। बड़ी संख्या में चीनी नागरिक और युद्ध के कैदी मारे गये। अनगिनत परिवार बिखर गये, और जापानी सेना के हाथों से मारे गये बेगुनाहों की संख्या 3 लाख से अधिक पहुंच चुकी थी। इसके अलावा जापानी आक्रमणकारियों की 731 बलों ने बीमारी की रोकथाम और पीने के पानी के शुद्धिकरण पर शोध करने के बहाने से वास्तव में जैविक और रासायनिक हथियारों के प्रयोग करने के लिए जीवित चीनी, कोरियाई और गठबंधन कैदियों का इस्तेमाल किया। उनके तरीकों की क्रूरता अपमानजनक रूप से पहुंच गई।

जैसा कि अनाताहन द्वीप पर जापानी सैनिकों ने हार के तथ्य को स्वीकार नहीं किया और आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया। वैसा जापानी सरकार ने कभी भी मन से यह स्वीकार नहीं किया कि उस द्वारा शुरू किये गये युद्ध से अन्य देशों को बड़ा नुकसान हुआ है। 15 अगस्त को जापान की हार और उसके बिना शर्त आत्मसमर्पण की बरसी है। लेकिन हर वर्ष के इसी वक्त पर कुछ जापानी राजनेता हमेशा यासुकुनी तीर्थ को सम्मान देने के बारे में सोचते हैं जहां द्वितीय विश्व युद्ध के वर्ग ए युद्ध अपराधियों को रखा जाता है। ध्यानाकर्षक बात यह है कि यासुकुनी तीर्थ कभी भी विशुद्ध रूप से धार्मिक स्थान नहीं रहा है। यह एक आध्यात्मिक उपकरण है और जापानी सैन्यवाद के लिए आक्रामकता का युद्ध शुरू करने का एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी है। साथ ही जापान भी इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में फजीर्वाड़ा कर इतिहास की सच्चाई को विकृत करता है। अपनी गलतियों को छुपाते हुए, उन्होंने अगली पीढ़ी के युवाओं को गुमराह किया और उनके जुझारूपन को भड़काया।

कल्पना कीजिए कि अगर अनाताहन द्वीप पर पिस्तौल दिखाई नहीं देती, तो शायद द्वीप पर स्थिति उतनी खराब नहीं होती जितनी बाद में थी! इसलिए, जापानियों को सशस्त्र बलों को रखने से रोकना उनके जुझारू स्वभाव को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका होना चाहिए। इस पर ध्यान देते हुए, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के शुरूआती दिनों में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने यह निर्धारित किया कि जापान को सेना रखने की अनुमति नहीं थी, हमेशा के लिए युद्ध छेड़ने के अधिकार को त्याग दिया, और विदेशों में सैनिकों को भेजने के लिए मना किया। लेकिन जैसे-जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्थिति बदलती है, जापान पर लगाये गये ये प्रतिबंध भी लगातार ढीले होते जा रहे हैं। वर्तमान में जापान के पास न केवल सेल्फ डिफेंस फोर्स है, बल्कि टैंक, युद्धपोत, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान आदि भी सेल्फ डिफेंस फोर्स के उपकरण में प्रवेश कर चुके हैं। कुछ समय से पहले जापान द्वारा जारी किये गये 2021 रक्षा श्वेत पत्रल्को याद करते हुए स्याही पेंटिंग समुराई पहली बार कवर पर दिखाई दी। कुछ नेटिजन्स ने इस खबर को बताया कि समुराई की छवि जापान के इतिहास में उत्तरी और दक्षिणी राजवंशों के एक प्रमुख सैन्य कमांडर कुसुनोकी मासाशिगे की प्रतिमा से मिलती जुलती है। क्या जापान की लगातार बढ़ती सैन्य महत्वाकांक्षा उसकी मजबूत युद्ध भावना के पीछे छिपी है?

उन के अलावा अनाताहन द्वीप की कहानी जापानी समाज में महिलाओं के अत्यधिक अनादर को भी उजागर करती है। जापानी पुरुषों के लिए, महिलाएं उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए सिर्फ एक उपकरण के रूप में प्रतीत होती हैं। यह रवैया कम्फर्ट वुमन प्रणाली में पूरी तरह से सन्निहित है। कम्फर्ट वुमन प्रणाली द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एशिया में आक्रमण के युद्ध को सुचारू रूप से लागू करने और पूरा करने के लिए जापानी सरकार और उसकी सेना द्वारा प्रचारित एक सैन्य यौन दासता प्रणाली थी। उन्होंने चीन (थाइवान सहित), दक्षिण कोरिया और फिलीपींस, साथ ही म्यांमार, पूर्वी तिमोर, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम समेत लगभग 11 एशियाई देशों और क्षेत्रों से जबरदस्त साधनों का इस्तेमाल करके कम्फर्ट वुमन की भर्ती की और इन फूलों जैसी लड़कियों को सेक्स गुलाम बना दिया। खेद की बात है कि ये कम्फर्ट वुमन काजुको की तरह भाग्यशाली नहीं थीं। काजुको अंत में अनाताहन द्वीप से भाग गयी, लेकिन अधिकांश कम्फर्ट वुमन को जापानी सेना द्वारा मार डाला गया। केवल बहुत कम लोग बच गयीं। अभी तक वे जापानी सरकार से माफी की प्रतीक्षा कर रही हैं।

अंत में हम सभी को केवल यह याद दिलाना चाहते हैं कि जापान के साथ रणनीतिक गठबंधन करने से पहले इस के परिणाम के प्रति ध्यान से विचार करना चाहिये। ऐसी मूर्ख बात मत करो कि बाघ की खाल को छीलने के लिए उसके साथ चर्चा करें।

(चंद्रिमा - चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.