चीन लगातार नए प्रयोगों और नवाचार में लगा हुआ है। हाल में चीन ने उड्डयन क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। जिसकी दुनिया भर में चर्चा हो रही है। हम बात कर रहे हैं चीन द्वारा स्वनिर्मित अत्याधुनिक यात्री विमान सी919 की, जिसने पिछले दिनों शांगहाई से पेइचिंग के लिए पहली सफल उड़ान भरी। माना जा रहा है कि यह बोइंग और एयरबस के लिए वैश्विक स्तर पर चुनौती खड़ी कर सकता है। क्योंकि अभी तक सिर्फ ये दो बड़ी कंपनियां ही दुनिया भर में यात्री विमानों की सप्लाई करती हैं। वहीं चीन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी उपलब्धि प्राप्त की है, जिसमें शनचो-16 समानव अंतरिक्ष यान का सफल प्रक्षेपण शामिल है। कहना होगा कि चीन कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन चुका है।
इसी विषय पर इंडिया ग्लोबल के चाइना सेंटर के प्रमुख प्रसून शर्मा के साथ सीएमजी संवाददाता अनिल पांडेय ने बात की। प्रसून शर्मा के मुताबिक चीन द्वारा सी919 यात्री विमान तैयार किया जाना एशियाई युग का आगाज है। चीन और भारत अब पश्चिमी देशों के लिए सिर्फ मार्केट इकोनॉमी नहीं रहे हैं। ये दोनों देश आत्मनिर्भर हो रहे हैं। ये न केवल अपने लिए उत्पाद व चीजें तैयार कर रहे हैं बल्कि पश्चिमी जगत के लिए भी बना रहे हैं। उदाहरण के तौर पर चीन ने अभी जो सी919 विमान तैयार किया है। इससे साबित होता है कि हम ऐसे उत्पाद अच्छी गुणवत्ता व इनोवेशन करके भी तैयार करने में सक्षम हैं। इस तरह चीन ने विश्व को अपनी क्षमता दिखा दी है। इतना ही नहीं कुछ क्षेत्रों में पश्चिमी देशों की बादशाहत थी, उसे एशियाई देश चुनौती दे रहे हैं। यह आत्मनिर्भरता की तरफ एक बड़ा कदम है।
लगभग चार दशक पहले खुले द्वार की नीति लागू होने के बाद चीन में व्यापक बदलाव देखा गया और वह आत्मनिर्भर बना। इस पर प्रसून कहते हैं कि इसमें चीन के सभी क्षेत्रों और वर्गों का योगदान रहा है। चाहे सरकार हो, उद्योग हों, फिर नीति निमार्ता हों या छात्र, इन सभी में एकजुटता और समन्वय के कारण ही चीन इतना विकास कर पाया है। दूरदर्शी सोच के साथ लगातार प्रयास जारी रहे हैं, जिसका परिणाम हमें देखने को मिल रहा है। इसके चलते चीन ने जो जबरदस्त आर्थिक वृद्धि हासिल की है, उससे चीनी लोगों के साथ-साथ समूचे विश्व को लाभ मिला है। जाहिर है कि आज चीन विश्व में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस तरह चीन ने एक सफल उदाहरण प्रस्तुत किया है।
सी919 विमान तैयार करना और उसे सफलता से उड़ाना आसान नहीं था। यह चीन की कितनी बड़ी उपलब्धि है। इस पर प्रसून शर्मा कहते हैं कि इस तरह के प्रोजक्ट का प्रोटोटाइप तैयार करने और परीक्षण में कई साल लगते हैं। इसमें जान-माल का खतरा रहता है और इस विमान में कई लोग बैठकर यात्रा करेंगे। इसके लिए संबंधित विभागों ने धैर्य दिखाया, साथ ही इतने बड़ा विमान बनाने के लिए निवेश और सहयोग की जरूरत होती है। चीन ने विभिन्न चुनौतियों का मुकाबला कर आधुनिक पैसेंजर प्लेन बनाने में सफलता पायी है, जो बड़ी उपलब्धि है।
प्रसून मानते हैं कि चीन और भारत में आने वाले समय में बहुत कुछ नया होने की संभावनाएं हैं। दोनों देश बड़ी आबादी वाले राष्ट्र हैं, ऐसे में उनके पास ज्यादा जिम्मेदारी है कि नागरिकों को अच्छी हेल्थ, एजुकेशन व मूलभूत सुविधाएं मुहैया करायीं जाय। इन दोनों देशों में मध्य वर्ग के लोगों की आकांक्षा और उम्मीदों के कारण इनोवेशन, उच्च तकनीक आदि का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसी बीच चीन ने अंतरिक्ष में अपना एक समानव मिशन भेजा है। जबकि भारत भी अंतरिक्ष प्रौद्योगिक में काफी इनोवेशन कर रहा है। इस दौरान इंडिया ने एक सैटेलाइट भेजा है, जिसे अमेरिका के सैटेलाइट का विकल्प बताया जा रहा है।
(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)
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Source : IANS