23 मई को तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 71वीं वर्षगांठ है। पिछले 71 सालों में तिब्बत ने गरीबी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 208 अरब युआन से अधिक तक छलांग लगाने वाला विकास साकार किया।
23 मई 1951 को, चीन लोक गणराज्य की केंद्रीय जन सरकार के पूर्ण प्रतिनिधि और तिब्बत की स्थानीय सरकार के पूर्ण प्रतिनिधि ने पेइचिंग में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के उपायों पर केंद्रीय जन सरकार और तिब्बत की स्थानीय सरकार के बीच समझौते (इसे संक्षिप्त में 17-अनुच्छेद समझौता कहा जाता है) पर हस्ताक्षर किए और तिब्बत में शांतिपूर्ण मुक्ति की घोषणा की। तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति ने तिब्बत के समृद्ध और प्रगतिशील बनने के लिए एक उज्जवल भविष्य का अध्याय भी खोल दिया है।
तिब्बत को सूर्य के निकटतम स्थान के रूप में जाना जाता है, जहां प्रचुर मात्रा में स्वच्छ सौर ऊर्जा संसाधन उपलब्ध है। तिब्बत में कई पहाड़ और नदियां हैं, और छिंगहाई-तिब्बत पठार दुनिया की कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है। इस तरह यहां अद्वितीय जलविद्युत संसाधन भी हैं। इसके साथ ही, तिब्बत की पवन ऊर्जा और भू-तापीय ऊर्जा संसाधन भी अत्यंत समृद्ध हैं।
अपनी शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद पिछले 71 सालों में, अत्यधिक बिजली की कमी वाले स्थल से लेकर राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा आधार के निर्माण तक, ऊर्जा के एकल उत्पादन विधि से लेकर पन-बिजली, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा और भू-तापीय विद्युत के मिश्रित उत्पादन तक, तिब्बत में ऊर्जा के विशाल विकास ने बर्फीले पठार पर किसानों और चरवाहों के उत्पादन और रहने की स्थिति में काफी सुधार किया है।
अतीत में ईंधन प्राप्त करने के लिए तिब्बती किसानों और चरवाहों को पीठ पर टोकरियों के साथ गाय-गोबर उठाना पड़ता था, लेकिन आज ऐसा ²श्य दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है। वर्तमान में स्वच्छ ऊर्जा धीरे-धीरे पारंपरिक ऊर्जा का स्थान ले रही है। बिजली की लोकप्रियता ने बिजली के उपकरणों की मात्रा और गुणवत्ता को ग्रामीण लोगों के पास धन के नए संकेतों में से एक बना दिया है। चावल के कुकर से लेकर रेफ्रिजरेटर और फ्रीजर तक, टीवी सेट से लेकर इलेक्ट्रिक हीटर तक, तिब्बती लोगों के घर में कई घरेलू उपकरण आसानी से उपलब्ध हैं। हर घर में उपले जलाने से लेकर पठार से हरी बिजली को बाहर भेजने तक, बर्फीले पठार में आसमान और नीला है, पहाड़ ज्यादा हरे-भरे हैं, जल अधिक स्वच्छ है और वातावरण ज्यादा सुंदर है।
नए युग में प्रवेश होने के बाद तिब्बत की हरित ऊर्जा बर्फीले पठार को रोशन करने के साथ-साथ वेस्ट-टू-ईस्ट पावर ट्रांसमिशन परियोजना की मदद से पठार से बाहर निकल जाती है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2015 से साल 2020 के अंत तक, तिब्बत ने कुल 6.5 अरब किलोवाट स्वच्छ बिजली भेजी है। कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करते हुए, यह पठारी संसाधनों के लाभ को आर्थिक लाभ में बदल रहा है। स्वच्छ ऊर्जा के विकास ने न केवल बर्फिले पठार के लोगों को लाभान्वित किया है, बल्कि पठार के बाहर लोगों को भी लाभान्वित किया है, जिससे चीन के कार्बन शिखर पर पहुंच और कार्बन तटस्थता वाले लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बर्फिले पठार की शक्ति का योगदान हुआ है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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Source : IANS