जापान परमाणु ऊर्जा योजना समिति ने 22 जुलाई को औपचारिक रूप से टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी की फुकुशिमा दायची परमाणु संयंत्र के परमाणु अपशिष्ट जल के समुद्र में डालने की योजना की पुष्टि की। यह जापान द्वारा निश्चित तथ्य बनाने की ओर बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम है।
हाल में जापान के फुकुशिमा दायची परमाणु संयंत्र में 12.5 लाख टन के परमाणु अपशिष्ट जल जमा हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार परमाणु अपशिष्ट जल में रेडियो आइसोटोप की बहुत मुश्किल से सफाई की जा सकती है। जो समुद्र में डालने के सिर्फ 57 दिनों में ही प्रशांत सागर के अधिकांश क्षेत्रों में फैल जाएगा और 10 साल के बाद वैश्विक समुद्री क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाएगा। इसी वजह से पिछले साल के अप्रैल माह में जापान सरकार द्वारा यह गलत निर्णय लेने के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और जापान के लोग हमेशा ही संदेह प्रकट करते रहे और इसका विरोध करते रहे।
पिछले साल जब जापान ने उपरोक्त निर्णय लिया, तो तत्कालीन जापान के वित्त मंत्री ने कहा कि परमाणु अपशिष्ट जल का निपटारा करने के बाद यह लोगों के लिए पीने योग्य होगा। इस साल जापान ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के तकनीक कार्य दलों को निरीक्षण के लिए जापान को आमंत्रित किया, लेकिन इस संस्था ने जापान के निर्णय को सही नहीं बताया, जबकि सफाई करने या सुधार करने की मांग की। लेकिन जापान के राजनेताओं ने खुलेआम परमाणु अपशिष्ट जल के समुद्र में डालने की योजना की पुष्टि की। दक्षिण कोरिया के पर्यावरण संरक्षण संगठन ने कहा कि यह परमाणु आतंकी हमले के बराबर है।
फुकुशिमा दायची परमाणु संयंत्र के परमाणु अपशिष्ट जल का निपटारा करना जापान खुद का काम नहीं है। जापान का समुद्र में डालने का निर्णय गैरजिम्मेदार और अनैतिक है। संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून संधि के मुताबिक सभी देशों को समुद्री वातावरण की रक्षा करने का कर्तव्य निभाना चाहिए। यदि जापान मनमाने ढंग से परमाणु अपशिष्ट जल को समुद्र में डालता है, तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कानूनी तरीके अपनाकर जापान से मुआवजा मांगने का अधिकार होगा।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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Source : IANS