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महामारी के खिलाफ लड़ाई में चीन की भूमिका

महामारी के खिलाफ लड़ाई में चीन की भूमिका

Updated on: 16 Jul 2021, 08:25 PM

बीजिंग:

चीन ने महामारी के खिलाफ लड़ाई में विभिन्न चीजों पर बारीकी से ध्यान दिया है। जिसमें टेस्टिंग, ट्रेसिंग के साथ-साथ मॉस्क, सेनिटाइजर के इस्तेमाल के अलावा सामाजिक दूरी बनाए रखने पर खूब जोर दिया गया। इसके साथ ही हाल के महीनों में वैक्सीन लगाने पर पूरा ध्यान केंद्रित किया गया है। अब तक चीन में कोरोना वैक्सीन की 1 अरब 40 करोड़ खुराकें लगायी जा चुकी हैं। जिसमें हर रोज बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। यही नहीं अब किशोरों को भी टीके लगाए जाने की योजना तैयार हो रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन सरकार इस महामारी को कितनी गंभीरता से ले रही है।

बताया जा रहा है कि चीन के कई प्रांत किशोरों और बुजुर्गों को वैक्सीन की डोज दिए जाने की दिशा में काम कर रहे हैं। चीन के संबंधित विभाग चाहते हैं कि जल्द से जल्द अधिक से अधिक नागरिकों को टीके लगाए जाएं। वैसे अगले साल फरवरी में चीन शीतकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन करेगा। शायद उससे पहले चीन में व्यापक आबादी को वैक्सीन की खुराकें दे दी जाएंगी। जिससे ओलंपिक के सफल आयोजन की दिशा में चीन का आत्मविश्वास और मजबूत होगा। जाहिर है कि चीन में लगातार टीकाकरण का अभियान जारी है, यह स्थिति तब है जब चीन विश्व के अन्य राष्ट्रों को भी वैक्सीन की मदद मुहैया करा रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग आदि नेता विभिन्न मंचों से वैक्सीन को सार्वजनिक उत्पाद बनाने की वकालत करते रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधियों के साथ-साथ तमाम विशेषज्ञ कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण को बड़ा हथियार मान रहे हैं। क्योंकि अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाए जाने के बाद ही इस संकट के खिलाफ बहुत हद तक सुरक्षा का माहौल कायम हो सकेगा। हालांकि हमने यह देखा है कि चीन डब्ल्यूएचओ की कोवैक्स योजना में प्रमुखता से हिस्सा ले रहा है, जबकि अमेरिका अपनी जि़म्मेदारी से मुंह मोड़ रहा है। अमेरिकी मीडिया ने भी बाइडेन प्रशासन द्वारा वैक्सीन की जमाखोरी किए जाने पर सवाल उठाया है। एक ओर अमेरिका जैसे विकसित देशों के पास वैक्सीन का भंडार जमा है, वहीं छोटे और गरीब देश एक-एक वैक्सीन को मोहताज हो रखे हैं।

ऐसे में अमेरिका को वैश्विक शक्ति होने की जि़म्मेदारी निभाते हुए दूसरे देशों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाना चाहिए।

(अनिल पांडेय, पेइचिंग)

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