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अमेरिका का शिनच्यांग कार्ड बिल्कुल व्यर्थ होगा

अमेरिका का शिनच्यांग कार्ड बिल्कुल व्यर्थ होगा

Updated on: 16 Jul 2021, 08:20 PM

बीजिंग:

अमेरिकी सीनेट ने 14 जुलाई को तथाकथित उइगर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम पारित किया। जिसके मुताबिक, चीन के शिनच्यांग प्रदेश से उन उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाएगा, जो आयातक यह साबित नहीं कर सकते हैं कि वे जबरन श्रम से संबंधित नहीं हैं। इससे पहले अमेरिका ने चीन के शिनच्यांग प्रदेश से टमाटर, कपास और कुछ फोटोवोल्टिक उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। उधर अमेरिका ने बिना किसी सबूत के चीनी उत्पादों पर मनमाने ढंग से आर्थिक प्रतिबंध का नया कदम उठाया है। इससे वह सामान्य अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को बाधित करने के अलावा, मानव अधिकारों के मुद्दों पर चीन को कलंकित करने का भी प्रयास करना चाहता है, ताकि चीन के आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति के प्रतिबंध को कस लगाया जा सके।

हाल के वर्षों में सभी चीन-अमेरिका संघर्षों के पीछे, हम चीन की प्रगति को दबाने के लिए अमेरिका के प्रयासों को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। शिनच्यांग से संबंधित मुद्दे इस सिलसिले का एक हिस्सा है। शिनच्यांग प्रदेश में न केवल कपास और फल का उत्पादन होता है। वहां चीन के फोटोवोल्टिक उद्योग का केंद्र भी है। अमेरिका द्वारा शिनच्यांग के उत्पादों के खिलाफ लगाये गये प्रतिबंध से इसके चीन के आर्थिक विकास को दमन के प्रयास को दर्शाता है। हाल के वर्षों में अमेरिका ने चीन के विकास को रोकने के लिए कई कार्ड खेले हैं, जैसे व्यापार युद्ध, चीनी हुआवेई कंपनी के खिलाफ दमन, और चिप निर्यात पर प्रतिबंध इत्याति। लेकिन ये सभी कार्ड का खेलना विफल हो गया। इसके बाद अमेरिका ने शिनच्यांग कार्ड खेलना शुरू किया है। ध्यान रहे कि अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और व्यापार के अलावा अमेरिका के समर्थित चीन विरोधी ताकतों ने दुनिया को धोखा देने के लिए शिनच्यांग से संबंधित सांस्कृतिक उत्पादों को गढ़ने का प्रयास किया है। उदाहरण के लिए अमेरिका द्वारा समर्थित पश्चिमी चीन विरोधी ताकतों ने शिनच्यांग को बदनाम करने और इस के विकास को बाधित करने के उद्देश्य से उपन्यास, फिल्में, वृत्तचित्र, कॉमिक्स, नाटक और यहां तक कि वीडियो गेम भी तैयार किए हैं। इन तथाकथित सांस्कृतिक उत्पादों ने झूठी कहानियों के आधार पर चीन के शिनच्यांग पर शातिर हमले किए हैं।

शिनच्यांग प्रदेश चीन की पवित्र भूमि है। दो हजार साल पहले के हान राजवंश में ही तत्कालीन चीनी केंद्र सत्ता ने शिनच्यांग पर शासन किया था। उस समय शिनच्यांग और उसके आसपास के क्षेत्र प्रसिद्ध सिल्क रोड थे और जहां बौद्ध धर्म का भारत से चीन में प्रवेश हुआ था। जहां उस समय बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मों का अस्तित्व ही नहीं था। नए चीन की स्थापना के बाद चीनी सरकार ने शिनच्यांग के आर्थिक विकास व समृद्धि और लोगों की आजीविका में सुधार को बढ़ावा दिया। हालांकि, 1990 के दशक से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद ने शिनच्यांग में बड़े पैमाने पर हत्या और बम विस्फोट जैसे आतंकी प्रहर किए। किसी भी देश को आतंकवादी कृत्यों के खिलाफ कदम उठाया जाना पड़ता है। चीनी सरकार ने शिनच्यांग प्रदेश में प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की है ताकि युवाओं को व्यावसायिक कौशल सीखने में मदद मिल सके, आतंकवाद और डी-रेडिकलाइजेशन के प्रभावों को प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जा सके। यह ठीक वैसा ही है जैसा कुछ पश्चिमी देशों में लागू किए गए परिवर्तन केंद्रों की प्रकृति है। शिनच्यांग में स्थापित शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र स्कूल प्रकृति के हैं। वे यूनाइटेड किंगडम द्वारा स्थापित ट्रांसफॉर्मेशन एंड सेपरेशन प्रोजेक्ट और फ्रांस द्वारा स्थापित डी-रेडिकलाइजेशन सेंटर के समान हैं। इन सभी का उद्देश्य आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद को खत्म करना है। जो पूरी तरह से संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति के सिद्धांतों और भावना के अनुरूप है।

शिनच्यांग प्रदेश में चीन सरकार ने जो कुछ भी किया है, वह उइगर जाति सहित सभी जातीय समूहों के लोगों के हितों की रक्षा करने, और शिनच्यांग के विकास और प्रगति को बढ़ाने के लिए ही है। चीन सरकार की शिनच्यांग नीति की दुनिया में मुस्लिम देशों सहित अधिकांश देशों ने प्रशंसा की है। लेकिन उधर अमेरिका, कुछ पश्चिमी देशों और उनके इने गिने अनुयायियों ने झूठी खबरों के आधार पर शिनच्यांग को निशाना बनाकर बेतुके काम किए हैं। दुश्मनियों के आक्रमण के सामने सिर्फ औचित्य और इनकार करने का क्या अर्थ है। चीनी लोग, विरोधी ताकतों के हमले से पीछे नहीं हटेंगे। शिनच्यांग में सामंजस्यपूर्ण विकास और सुखमय जीवन के तथ्यों से अमेरिका और पश्चिम के बेशर्म शब्दों को पूरी तरह से कुचल दिया जाएगा।

(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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