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चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल-बदल दिया देश

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल-बदल दिया देश

Updated on: 13 Jul 2021, 01:20 AM

बीजिंग:

आजकल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यों व उपलब्धियों की खूब चर्चा हो रही है। क्योंकि सीपीसी ने गरीबी, भुखमरी व अभाव से जूझ रहे एक देश को नयी दिशा दी। शायद ही पहले किसी ने ऐसी उम्मीद की होगी कि विकास के लिहाज से सबसे पिछड़े देशों में शामिल चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। साथ ही विश्व का कारखाना बनने, वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन बनने जैसे प्रमुख भूमिका भी चीन निभाता रहा है। यह भी कम आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन ने करोड़ों नागरिकों को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सत्ता में आने के बाद गरीबी उन्मूलन व नागरिकों को और बेहतर जीवन दिलाने का अभियान तेज हुआ। चीन का दावा है कि उसने देश से अति गरीबी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। जाहिर सी बात है कि अगर कोई देश विकास करेगा और उसके देश के लोगों का जीवन भी बेहतर ढंग से चलेगा तो सरकार व पार्टी के प्रति आम नागरिकों का विश्वास भी बढ़ेगा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ ही ऐसा ही हुआ है, वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान भी चीनी नागरिकों का पार्टी के प्रति भरोसे में कोई कमी नहीं आयी। यहां तक इसमें इजाफा देखा गया है। जो यह दशार्ता है कि पार्टी सही तरीके से देश का नेतृत्व कर रही है।

जैसा कि हम जानते हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को स्थापित हुए सौ साल पूरे हो चुके हैं। इन सौ वर्षों में सीपीसी कुछ सदस्यों से साढ़े नौ करोड़ से अधिक सदस्यों वाली पार्टी बन चुकी है। इस दौरान चीनी लोगों के जीवन में भी व्यापक बदलाव आ चुका है। चीन ने पिछले कुछ दशकों में विकास की ऐसी छलांग लगायी कि पूरा विश्व अचंभित है। कभी इस देश में लोगों के पास दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पाता था, लेकिन आज यह राष्ट्र गरीबी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए प्रयासरत है।

इस दौरान लंबे समय तक चीनी जीडीपी ने दोहरे अंकों में अपना स्थान बनाए रखा। इसके साथ ही कई वर्षों तक वैश्विक आर्थिक वृद्धि में चीन का योगदान तीस प्रतिशत से ज्यादा रहा। चीन में खड़ी तमाम गगनचुंबी इमारतें और लोगों का खुशहाल जीवन यह बताने के लिए पर्याप्त है कि चीन कहां से कहां पहुंच गया है। कभी चीनी नागरिक बमुश्किल साइकिल व छोटे वाहनों का इस्तेमाल कर पाते थे, लेकिन आज की पीढ़ी के अधिकांश लोगों के पास वह सब कुछ है, जिसकी हर देश के लोग कामना करते हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी, सरकार व नागरिकों के प्रयासों के बिना इतना जबरदस्त परिवर्तन असंभव लगता है।

लेखक ने हाल में शांगहाई में रहने वाली भारतीय लेखिका अनीता शर्मा से बात की, उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ दशक में ही चीन में कितना बदलाव आ चुका है। उनके मुताबिक कुछ साल पहले वह शांगहाई में एक टैक्सी ड्राइवर से मिली, उसने बताया कि उनके दादा-दादी की मौत भूख के कारण हो गयी थी। आज वह ड्राइवर आरामदायक जि़ंदगी जी रहा है। जरा सोचिए, जिस देश में लोगों को भरपेट खाने को न मिले, पहनने को वस्त्र न हों, उस देश की स्थिति क्या होगी।

तेज विकास करने और लोगों को आशा की किरण व आगे बढ़ने का सपना दिखाने का श्रेय चेयरमेन माओ से लेकर तंग श्याओफिंग व वर्तमान राष्ट्रपति शी चिनफिंग सभी नेताओं को जाता है। जिस तरह से माओ व अन्य नेताओं ने चीन को सामंती जकड़नों से आजाद कराया, और चीनी नागरिकों ने खुली हवा में सांस लेना शुरू किया। थ्येनआनमन चौक से ही 1949 को नए चीन की स्थापना का ऐलान माओ ने किया था, उसी चौक पर 1 जुलाई को चीनी राष्ट्रपति शी ने अपने संबोधन से पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। जिसमें उन्होंने कहा कि देश में प्रारंभिक तौर पर खुशहाल समाज का निर्माण पूरा हो चुका है। देश आगे भी प्रगति का मार्ग पर अग्रसर रहेगा, इसके लिए पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

सीपीसी के नेतृत्व में चीन ने चौतरफा तौर पर खुशहाल समाज का निर्माण पूरा करने की दिशा में तेज कदम बढ़ाए हैं। यह भी देखना होगा कि चीन अपने तरह की विशेष व्यवस्था पर जोर देता रहा है, पश्चिमी देशों के विकास मॉडल से अलग चीन में चीनी विशेषता वाले समाजवाद को देश को आगे ले जाने का प्रमुख तरीका माना गया है। जानकार कहते हैं कि चीन ने जो विकास किया है, वह अपने तरीके और अपने देश की स्थिति के मुताबिक किया है। जिसके कारण चीन अपने लक्ष्यों को पाने में बहुत कामयाब रहा है।

हमने यह भी स्पष्ट तौर पर देखा है कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने देश की कमान संभालने के बाद गरीबी उन्मूलन, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने पर बहुत ध्यान दिया है। पिछले साल चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा जारी एक सर्वे के मुताबिक 95.8 प्रतिशत चीनी नागरिक सीपीसी के व्यापक तौर पर पार्टी के सख्त प्रबंधन करने और भ्रष्टाचार का खात्मा करने के प्रति आश्वस्त हैं। साल 2012 के मुकाबले लोगों के भरोसे में 16.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

(अनिल पांडेय, पेइचिंग)

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