चीन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति काफी जागरूकता देखी जा सकती है, इस दिशा में व्यापक प्रयास भी किए जा रहे हैं। विशेष तौर पर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में हरित पारिस्थितिकी के निर्माण पर जोर दिया गया है।
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि, चीन अभी भी हरित भविष्य के निर्माण के लिए कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है। और देश के विभिन्न विभागों को पारिस्थितिकी और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रयास करने होंगे। साथ ही समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने के लिए अधिक से अधिक सामाजिक भागीदारी पर बल दिया गया है।
पर्यावरण योजना के चीनी अकादमी के एक मुख्य इंजीनियर के मुताबिक अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चीन कुछ चीजों का इस्तेमाल करता है। बताया जाता है कि चीन द्वारा वार्षिक अनाज उत्पादन को बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग किया जाता है, जो आने वाले दशक में मुख्य पर्यावरणीय खतरों में से एक होगा।
गौरतलब है कि चीन में प्रति वर्ष बड़ी मात्रा में कीटनाशकों और उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है। जो अमेरिका और भारत द्वारा कुल मिलाकर इस्तेमाल किए जाने वाली मात्रा से ज्यादा है। जानकार कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व व अन्य कारणों को देखते हुए चीन के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
ध्यान रहे कि चीन में वर्ष 2015 से वार्षिक 650 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक अनाज का उत्पादन हुआ है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह मात्रा स्थिर खाद्य आपूर्ति में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए एक निचली आधार रेखा के करीब है।
इसके साथ ही चीन अपनी ऊर्जा की जरूरत के लिए मुख्त तौर पर कोयले पर निर्भर है। जबकि कच्चे तेल के लिए लगभग 70 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस आपूर्ति के लिए 50 फीसदी भाग पर निर्भर है।
गौरतलब है कि कई विकसित देशों ने अपने यहां औद्योगीकरण की प्रक्रिया पूरी कर ली है और इस तरह वे कार्बन उत्सर्जन के चरम पर भी पहुंच चुके हैं। लेकिन चीन को अभी यह लक्ष्य हासिल करने में तीन से पांच साल का वक्त लग सकता है।
कहा जा रहा है कि चीन में कीटनाशकों, उर्वरकों और कोयले की मात्रा को कम करने के लिए अधिक से अधिक जन भागीदारी की आवश्यकता है। इससे देश हरित पारिस्थितिकी के अपने लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम हो सकता है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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Source : IANS