कोरोना के दौर में वैश्विक स्तर पर चीन की महत्वपूर्ण भूमिका
कोरोना के दौर में वैश्विक स्तर पर चीन की महत्वपूर्ण भूमिका
बीजिंग:
कोरोना महामारी के दौर में भी चीन अपनी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ वैश्विक इकॉनमी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हमने देखा है कि हाल के कई महीनों में चीनी कंपनियों ने कुछ टीके तैयार किए, जो कि विश्व के विभिन्न देशों में कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में प्रमुख हथियार बन रहे हैं। डब्ल्यूएचओ की कोवाक्स योजना में चीन ने जिस सक्रियता से हिस्सा लिया है, उसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है।विशेषज्ञ मान रहे हैं कि चीन वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के प्रदाता के रूप में अपना अहम रोल निभाने के लिए तैयार है। विशेष रूप से कोरोना वैक्सीन और जलवायु परिवर्तन को लेकर चीन की प्रतिक्रिया अच्छी रही है। गौरतलब है कि इस सदी के सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट ने लाखों लोगों की जान ले ली है, जबकि करोड़ों नागरिक संक्रमित हुए हैं। दुनिया की हर छोटी-बड़ी अर्थव्यवस्था इस महामारी के प्रभाव से त्रस्त है। इसका असर सीधे तौर पर आम नागरिकों के जीवन में दिखाई दे रहा है। लेकिन चीन ने बहुत हद तक वायरस को नियंत्रण में करने में सफलता हासिल की है, जिससे उसकी अर्थव्यस्था की स्थिति काफी बेहतर हो चुकी है। इसके चलते वह अन्य राष्ट्रों को वैक्सीन व अन्य उत्पादों की सप्लाई सुनिश्चित कर पाया है।
चीन वैक्सीन को सार्वजनिक उत्पाद के रूप में पेश करने के लिए किस तरह जुटा हुआ है, इसका अंदाजा हमें इससे मिल सकता है। आंकड़ों के मुताबिक चीन ने अगस्त की शुरूआत तक 75 करोड़ से अधिक टीके जरूरतमंद देशों तक पहुंचाए हैं। यह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा हाल में वैक्सीन सहयोग संबंधी मंच में भाषण के जरिए जताई गयी
प्रतिबद्धता को भी दशार्ता है। दुनिया में जारी वैक्सीन संकट के बीच चीन की कोशिश काबिले तारीफ है। एक ओर अमेरिका जैसे विकसित देश टीकों की जमाखोरी में लगे हैं, वहीं चीन ने कहा कि वह इस साल वैक्सीन की 2 अरब खुराकों की आपूर्ति अन्य देशों को करेगा।
चीन की यह पहल उसे एक जि़म्मेदार राष्ट्र के तौर पर सामने लाती है, क्योंकि कोरोना संकट से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की व्यापक जरूरत है। इसमें वैक्सीन का समान वितरण भी शामिल है, क्योंकि कुछ देशों के पास टीकों की कोई कमी नहीं है और वहां के लोगों को लगातार वैक्सीन लगायी जा रही हैं। परन्तु छोटे और गरीब देशों के पास दूसरों पर निर्भर रहने के अलावा कोई अन्य चारा नहीं है।
ऐसे में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन का योगदान बहुत मायने रखता है, पश्चिमी देशों को भी चीन से कुछ सीख लेने की जरूरत है।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)
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