मुंबई में चीनी काउंसल जनरल ने विश्वविद्यालय के छात्रों व शिक्षकों के साथ ऑनलाइन संवाद किया
मुंबई में चीनी काउंसल जनरल ने विश्वविद्यालय के छात्रों व शिक्षकों के साथ ऑनलाइन संवाद किया
बीजिंग:
मुंबई में चीनी काउंसल जनरल थांग क्वोथ्साई ने 1 सितंबर को निमंत्रण पर जय हिन्द विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संबंध मंच में भाग लिया और चीन-भारत संबंध और आदान-प्रदान व सहयोग वाले विषय पर भाषण दिया। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के क्राइस्ट मैरी कॉलेज की प्रोफेसर रीना मारवाह, वरिष्ठ मीडियाकर्मी आरएन भास्कर आदि अतिथियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों समेत करीब सौ लोग मंच में उपस्थित हुए।थांग क्वोथसाई ने अपने भाषण में प्राचीन सभ्यता, आधुनिक उपनिवेशवाद का विरोध, समकालीन आदान-प्रदान और भविष्य की संभावना समेत चार ऐतिहासिक आयामों से चीन और भारत के बीच आपसी समझ और सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता और महत्व की व्याख्या की।
उन्होंने कहा कि चीन और भारत के सभी क्षेत्रों के लोगों को अपने दिमाग को और अधिक मुक्त रखना चाहिए, व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, समस्याओं को हल करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और भविष्य के उन्मुख साझे भाग्य वाले समुदाय का सह-निर्माण करना चाहिए। चीन और भारत हाथ मिलाकर सभ्यता के पुनरुत्थान और प्रमुख विकासशील देशों के कायाकल्प के लिए आगे बढ़ते जा रहे हैं। यह एक अबाध्य वैश्विक विकास प्रवृत्ति है।
काउंसल जनरल थांग ने कहा कि चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, व्यापार की कुल मात्रा और चीन की तरफ भारत का निर्यात काफी बढ़ रहा है, जिससे दोनों देशों के लोगों को लाभ हो रहा है। दोनों देशों के पास विनिर्माण, बुनियादी संरचना और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में सहयोग की अपार निहित शक्ति और व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। चीन और भारत के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान और सहयोग का तेजी से विकास हो रहा है। युवा राष्ट्र का भविष्य है, जो चीन और भारत के बीच आपसी समझ और दोस्ती बढ़ाने में भी अग्रणी है। उन्हें आशा है कि शिक्षा, और संस्कृति आदि जगतों के लोग और युवा विद्यार्थी चीन-भारत मैत्री और आपसी लाभ वाले संबंध की मजबूती के लिए समान प्रयास करेंगे।
स्वर्ण सिंह सहित भारतीय अतिथियों ने अपने-अपने भाषण में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चीन और भारत की विकास विचारधारा समान है, विकास के क्षेत्र में दोनों एक दूसरे की आपूर्ति है, सहयोग में बड़ी निहित शक्ति मौजूद है। दोनों देशों के उच्च विद्यालयों, संस्कृति और शिक्षा वाले क्षेत्रों को सेतु की भूमिका निभाते हुए आदान-प्रदान, संवाद और सहयोग मजबूत करना चाहिए, ताकि भारत-चीन संबंध के स्वस्थ विकास के लिए सक्रिय ऊर्जा प्रदान की जा सके।
( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )
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