अमेरिकी खुफिया एजेंसी की जांच में कुछ भी नहीं निकला
अमेरिकी खुफिया एजेंसी की जांच में कुछ भी नहीं निकला
बीजिंग:
90 दिनों की जांच के बाद, अमेरिकी खुफिया एजेंसी इस बात का कोई निष्कर्ष नहीं निकाल पायी है कि कोरोनावायरस कहां से आया था। जाहिर है, विज्ञान आधारित कोविड की उत्पत्ति का पता लगाने सेही भविष्य में फैलने वाली किसी महामारी के प्रकोप को रोका जा सकता है, न कि किसी राजनीतिक हेरफेर से।कोविड-19 कहां से आया? इसकी उत्पत्ति पर सवाल अनुत्तरित है। मई 2021 में, वैज्ञानिकों के निष्कर्षों की प्रतीक्षा करने के बजाय, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को यह निष्कर्ष निकालने के लिए 90 दिनों का समय दिया कि वायरस कहां से आया है। अमेरिका में डेल्टा वैरिएंट के प्रसार के साथ, मामलों और मौतों की संख्या में वृद्धि जारी है और राहत का कोई संकेत नहीं है। 6 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जो कि बाल्टीमोर की जनसंख्या से भी अधिक है।
अफ्रीकी, अमेरिकी और अन्य अल्पसंख्यक समूह महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अश्वेत और हिस्पैनिक लोग टीकाकरण कराने में पिछड़ जाते हैं। जिन लोगों ने टीके की कम से कम एक खुराक प्राप्त की है, उनमें लगभग दो-तिहाई श्वेत (58 प्रतिशत) हैं। हिस्पैनिक लोगों की संख्या 17 प्रतिशत है, जबकि अश्वेतों की संख्या केवल 10 प्रतिशत है। अपनी सीमा के भीतर वायरस को नियंत्रित करने में विफल रहते हुए, अमेरिका ने वायरस को अपनी सीमा के बाहर प्रवाहित कर दिया है। मार्च और सितंबर 2020 के बीच, अमेरिका ने लगभग 160,000 अवैध अप्रवासियों को स्वदेश भेजा। निर्वासित होने से पहले उन्हें न तो क्वारंटाइन किया गया, और न ही उनका परीक्षण किया गया।
अमेरिका, जो खुद एक सुपरस्प्रेडर है, बीमारी के लिए बाहरी लोगों को दोष देने की पुरानी चाल चल रहा है। इस बार, उसने ऐसा करने के लिए खुफिया समुदाय को शामिल किया है।
जब डोनाल्ड ट्रम्प सत्ता में थे, तो न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया था कि उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने लैब-लीक परिकल्पना का समर्थन करने के लिए जासूसी एजेंसियों पर दबाव डाला। अब बारी जो बाइडेन की है। उनका जांच आदेश वॉलस्ट्रीटजर्नल द्वारा एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद आया, जिसमें इस अटकल को हवा दी गई थी कि कोरोना वायरस चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लीक हो सकता है।
वहीं, अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारी इस संभावना को तेजी से स्वीकार कर रहे हैं कि दुनिया को एक खतरनाक नए वायरस के बारे में पता चलने से पहले ही देश में कम संख्या में कोविड-19 संक्रमण हुआ होगा। दूसरी ओर, अमेरिकी राजनेताओं ने वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने जैसे वैज्ञानिक मुद्दे का राजनीतिकरण करके एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा को एक प्रमुख शक्ति संघर्ष में बदल दिया है।
(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)
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