लोगों के अधिकारों की अच्छी तरह रक्षा करें
लोगों के अधिकारों की अच्छी तरह रक्षा करें
बीजिंग:
यह विचार प्राचीन काल से ही पूरे विश्व में फैला हुआ है कि समाज हम सभी का है, और लोगों के अधिकारों की अच्छी तरह रक्षा की जानी चाहिये। अगर लोग देश के शासन में भाग ले सकते हैं और इसमें सुखमय जीवन प्राप्त कर सकते हैं,तो यही शासन मॉडल प्रशंसनीय है। चीनी कन्फ्यूशीवाद के अनुसार, किसी भी एक देश में लोग सबसे महत्वपूर्ण हैं, समाज दूसरे स्थान पर है, और शासक का महत्व कम है। चीनी क्रांति का बैनर है तानाशाही का विरोध करना और लोकतंत्र एवं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना । चीनी नेता माओ त्सेतुंग ने भी ऐसा एक नारा सामने रखा था जनता की सेवा करें।, जो रामसेवा के जैसे है, क्योंकि इस ने लोगों के अधिकारों को प्राथमिकता दे दी है।चीन में भी चुनाव हैं। चीनी संसद का नाम है जन प्रतिनिधि सभा। काउंटी स्तरीय संसद सीधे मतदाताओं द्वारा चुने जाते हैं, और काउंटी स्तर से ऊपर की सरकारें अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित हैं। चुनाव के प्रारूप के संदर्भ में चीन और पश्चिम के बीच कोई अंतर नहीं है। चीनी संविधान के मुताबिक सभी सरकारी नीतियों को जन प्रतिनिधि सभा में विचार विमर्श किया जाना चाहिये। और सभी कानूनों और विनियमों को पारित करने से पहले आम लोगों की रायें भी सुननी पड़ेगी। उदाहरण के लिए, चीन का नागरिक संहिता पारित होने से पहले समाज में दस बार राय मांगी गई, और 4.2 लाख लोगों की तरफ से 10 लाख से अधिक रायें ग्रहित की गयीं। उधर चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना के मसौदे में सरकार ने 10 लाख से अधिक ऑनलाइन संदेशों से 1,000 से अधिक सुझावों को सारांशित किया और 366 धाराओं का समायोजन किए। हालाँकि चीनी संसद की सभाओं में कोई झगड़ाएं और यहां तक कि लड़ाईयां नहीं दिखती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि विभिन्न दलों के बीच हितों का भयंकर टकराव नहीं है। एक-पक्षीय प्रणाली के तहत सभा में शांती से चर्चा कर सकती है और बिल पारित हो सकता है। ऐसा तंत्र वास्तव में अधिक कुशल है।
लोगों को जो चाहिये वह कोई तय तंत्र नहीं है, बल्कि ठोस कल्याण ही है। मैं ने भारतीय मलिन बस्तियों का दौरा किया, जहां के निवासियों ने मुझे बताया कि उनके माता-पिता 1950 के दशक से वहां रह चुके थे, और उनके पास अभी भी पानी व बिजली की कोई सुविधा नहीं है। पर जभी चुनाव का दिन आता है, तब उन्हें छुट्टियों के जैसी खुशियां लगती हैं। क्योंकि वोटों के कारण उनका सम्मान किया जाता है। मेरा ख्याल है कि मतदान का रूप महत्वपूर्ण नहीं है, जो अहम है वह समाज का प्रभावी ढंग से शासन करना। हाल ही में मेरी इमारत के सामने एक मैनहोल का ढक्कन टूटा हुआ था। मैंने बीजिंग के मेयर की हॉटलाइन को फोन किया और किसी ने तुरंत इसे मरम्मत किया। इसी तरह की अन्य समस्याओं को चीनी लोग ऐसे हॉटलाइन के माध्यम से हल कर सकते हैं। कुशल प्रबंधन के जरिये लोगों के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा हो सकती है। मेरे यहां लोग इसका सबूत दे सकते हैं।
चीन का मुद्दा भी इस तरह है। यह किस तरह का एक देश है, जिसके बारे में पश्चिमियों के द्वारा निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिये। कुंजी इस बात में निहित है कि क्या लोगों को सुखमय जीवन प्राप्त हो सकता है या नहीं। अमेरिका या दूसरे पश्चिमी देशों को दूसरे देशों की स्थितियों का नैतिक मूल्यांकन करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि केवल लोगों को ही अपने देश का मूल्यांकन करने का अधिकार है। मेरा सुझाव है कि जो संदेह लगते हैं, वे खुद चीन जाकर वहां के सबकुछ अपनी आंखों से देखें और स्थानीय लोगों से पूछें कि उन्हें अपने जीवन के बारे में संतोष लगता है या नहीं।
( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )
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