चीनी ग्रामीण महिलाएं अपने हाथों से खुशहाल जीवन बुनती हैं
चीनी ग्रामीण महिलाएं अपने हाथों से खुशहाल जीवन बुनती हैं
बीजिंग:
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1996 में हर साल 15 अक्तूबर को विश्व ग्रामीण महिला दिवस मनाना निश्चित किया। इस दिवस की स्थापना का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और अनवरत विकास रणनीति में ग्रामीण महिलाओं की स्थिति और महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना है। इस दिवस के मौके पर हम एक चीनी ग्रामीण महिला के बारे में बताएंगे।चीन के हपेई प्रांत के छांगचो शहर में शू आईजू नाम की एक वरिष्ठ महिला कारीगर रहती हैं। वे 20 वर्षों में एक बेरोजगार महिला मजदूर से नये धंधे खोलने वाली महिला उद्यमी बन गयीं। उन्होंने न सिर्फ हाथ की बुनाई वाली इस चीनी परंपरागत तकनीक का प्रयोग कर अपना सपना पूरा किया, बल्कि स्थानीय तीन हजार से अधिक बेरोजगार महिला मजदूरों और ग्रामीण महिलाओं का नेतृत्व कर गरीबी को दूर भगाने का सपना भी पूरा किया।
वर्ष 1997 में 28 वर्षीय शू आईजू कारखाने के पुनर्गठन से बेरोजगार हो गयीं। पैसे कमाने के लिये उन्होंने पेइचिंग में जाकर मेजपोश बेचने की कोशिश की। प्रारंभिक समय में वे पेइचिंग और वहां के लोगों से परिचित नहीं थीं। उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा, यहां तक कि वे तलघर में भी रहती थीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी ²ष्टि से इन अनुभवों से वे ज्यादा मजबूत बनीं। इसकी चर्चा में शू आईजू ने कहा, अगर तुम्हारे पास सौ उपाय हैं तो तुम्हें पहले 99 उपायों का प्रयोग करके हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि शायद और एक उपाय का प्रयोग करके तुम सफल हो जाओ। खास तौर पर नये धंधे खोलने में मैंने इसके बारे में खूब सीखा। हर बार जो काम मैंने किया, मैंने सौ प्रतिशत कोशिश करके इसे किया है, और आसानी से हार नहीं मानी।
इस ²ढ़ भावना से शू आईजू को नये धंधे खोलने में एक छोटी सफलता मिली। कई वर्षों के बाद उन्होंने पेइचिंग के तुंगडाछाओ क्षेत्र में एक दुकान की स्थापना की। साथ ही उन्होंने अपना बिक्री चैनल भी ढूंढ़ लिया। चीन के अलावा उनके मेजपोश रूस और दक्षिण कोरिया के बाजार में पहुंचाये गये। शू का व्यापार रास्ता ज्यादा से ज्यादा चौड़ा बन गया।
बाद में छांगचो शहर के महिला संघ द्वारा बेरोजगार महिलाओं के लिये आयोजित एक प्रशिक्षण में शू आईजू को पता लगा कि बहुत-सी स्थानीय महिलाएं बेरोजगारी के चक्कर में अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं। शू उन महिलाओं के सामने मौजूद मुश्किलों को खूब समझती हैं। उनकी मदद करने के लिये वर्ष 2005 में शू आईजू ने एक टेक्सटाइल कंपनी की स्थापना की। फिर आई यांग यांग नाम के एक ब्रांड का पंजीकरण भी किया गया। उनका लक्ष्य है प्रेम से सुन्दर जीवन को बुनना और सूरज की रोशनी हर कोने में पहुंचाना। इस कंपनी की स्थापना से शू ने घर में बेरोजगार महिलाओं के लिये बिना दीवार वाले एक कारखाने का निर्माण किया है।
शू आईजू की नजर में हाथ से बने उत्पाद अन्य उत्पादों की तरह नहीं हैं, जो हाथ से मन की भावना दिखाने वाली वस्तुएं हैं। इसमें प्रेम और कोमलता शामिल है इसलिये बुनाई कौशल पर जोर देने के साथ शू ने महिला मजदूरों के सांस्कृतिक स्तर और सौंदर्यबोध की क्षमता को उन्नत करने पर बड़ा ध्यान दिया है। वे अक्सर विशेषज्ञों को आमंत्रित करके महिलाओं को रंग के मिलान और फैशन के रुझान का प्रशिक्षण देती हैं, और सभी महिलाओं को अपने क्षितिज को व्यापक बनाने के लिये घर से बाहर जाने का प्रोत्साहन देती हैं। ताकि उत्पादों के स्तर और गुणवत्ता को उन्नत किया जा सके।
अच्छे उत्पाद केवल बाजार की स्वीकार्यता पाकर मूल्यवान चीज बन सकेंगे। पर यह आसान बात नहीं है। बिक्री चैनल का विस्तार करने के लिये शू आईजू इधर-उधर जाती थीं, और अपने उत्पादों का प्रसार-प्रचार करने के लिये पेइचिंग, शांगहाई और क्वांगतु जैसे बड़े शहरों में भी गयीं। पैसे बचाने के लिये वे हमेशा अकेले ही आया-जाया करती थीं। वे सबसे सस्ती हरे रंग वाली ट्रेन में सवार करती थीं, सबसे सस्ते होटल में रहती थीं। उन्होंने अपनी अथक कोशिश से एक-एक आर्डर पाया। शू आईजू के विचार में से बाजार के विस्तार का परिणाम न सिर्फ़ उनसे जुड़ा हुआ है, बल्कि उनके पीछे हजारों महिलाओं से भी जुड़ा हुआ है। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा, जब मैंने पेइचिंग में नया धंधा खोला, तो उस समय केवल मैं अकेली थी, थोड़ा आराम था। लेकिन अब मेरे पीछे बहुत सारी बहनें खड़ी हुई हैं। वे मेरी प्रतीक्षा में हैं। इसलिये हर बार मैं ज्यादा से ज्यादा ऑर्डर लेने की कोशिश करती हूं। अगर थक जाती हूं, तो मैं बैठकर जरा आराम करके कुछ पानी पीकर आगे बढ़ती हूं।
ज्यादा से ज्यादा बेरोजगार महिलाओं को सहायता देने के लिये शू आईजू हमेशा से अपनी कंपनी में बेरोजगार महिलाओं या ग्रामीण महिलाओं को शामिल करने पर कायम रहती हैं। दसेक वर्षों में उन्होंने क्रमश: छांगचो शहर के यूनहो क्षेत्र, शिनह्वा क्षेत्र, हाईशिंग काऊंटी, येनशान काऊंटी, यहां तक कि शानतु प्रांत की कई काऊंटियों में कंपनी की 16 शाखाओं की स्थापना की और तीन हजार से अधिक महिलाओं की रोजगार समस्या का समाधान किया। उनमें दो सौ से अधिक विकलांग महिलाएं भी शामिल हुई हैं।
65 वर्षीय वांग चिनइंग हाईशिंग काऊंटी में स्थित एक छोटे गांव में रहती हैं। उन्हें अपने हाथों से बुनाई करना बहुत पसंद है। अवकाश में वे अक्सर टोपी, स्वेटर जैसी चीजें बुनकर बाजार में बेचती थीं। वांग चिनइंग की याद में उसी समय टोपी और स्वेटर बेचने से हर महीने उन्हें दो सौ य्वान मिलते थे। वर्ष 2009 में वे शू आईजू हाथ से बुनाई नाम के बड़े परिवार में शामिल हुई। इसके बाद हर महीने उनकी आय दो हजार से अधिक य्वान तक पहुंच गयी। आज वांग चिनइंग एक शाखा की प्रधान बन गयीं। वे 130 से अधिक बहनों का नेतृत्व करके अपने खुश जीवन की बुनाई कर रही हैं। उन्होंने कहा, उस समय ग्रामीण जीवन बहुत कठोर था। शू ने मेरी बड़ी मदद दी। फिर मैंने देखा कि आसपास की बहनें भी मेरी तरह गरीबी में जीवन बिताती थीं, तो मैंने भी उनकी सहायता की। हाथ से बुनाई करने के बाद मैंने अपनी आंखों से यह देखा कि उनका जीवन दिन-ब-दिन बेहतर बन रहा है। इसलिये मुझे बहुत खुशी हुई। क्योंकि मैंने दूसरों को सहायता दी।
शू आईजू हमेशा महिलाओं को कारीगर की भावना से कारीगर बनने का प्रोत्साहन देती हैं। उन्हें आशा है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपने कार्य शुरू कर सकेंगी। उन्होंने कहा, अगर तुम केवल बुनाई की तकनीक सीखती हो, लेकिन तुम्हारे पास सपना नहीं है, तो ऐसे लोगों का भविष्य भी उज्जवल नहीं होगा। इसलिये जब मैं महिलाओं को प्रशिक्षण देती हूं और आदान-प्रदान करती हूं, तो इस दौरान मैं उनके बीच इस विचार का प्रसार-प्रचार भी करती हूं। ताकि वे अपना काम धंधा शुरू कर सकें।
गौरतलब है कि 16 वर्षों के विकास के बाद शू आईजू द्वारा स्थापित कंपनी का बड़ा विकास हुआ है। अब उत्पादों में घरेलू सामान, हाथ से बुनी टोपी, कपड़े, गुड़िया जैसी सजावट समेत चार प्रकारों के कई हजार किस्मों वाले उत्पाद शामिल हुए हैं। साथ ही उन्हें नौ राष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त हैं। आजकल वे छिंगह्वा विश्वविद्यालय के कला कॉलेज, और पेइचिंग कपड़ा कॉलेज आदि श्रेष्ठ डिजाइन टीमों के साथ सहयोग कर रही हैं, और उच्च स्तरीय राष्ट्रीय बाजार और अंतर्राष्ट्रीय बाजार का विकास करने की कोशिश कर रही हैं। वर्ष 2019 नवंबर में शू आईजू ने अपने उत्पादों को लेकर दूसरे आयात मेले में भाग लिया और बांग्लादेश और श्रीलंका आदि दक्षिण एशियाई देशों के व्यापारियों के साथ सहयोग के समझौतों पर हस्ताक्षर किये। शू आईजू को आशा है कि एक दूसरे से सीखकर बुनाई तकनीक का विकास करने से विश्व मंच पर चीन की परंपरागत हस्त कला की सुन्दरता को दिखाया जा सकेगा।
(चंद्रिमा- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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