10 अक्टूबर : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
10 अक्टूबर : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
बीजिंग:
हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, जिसका मकसद मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बातों का शिक्षण, इसके बारे में जागरुकता फैलाना और इससे जुड़े स्टिगमा को दूर करने के नए रास्ते और सुझावों पर चर्चा होती है। हर वर्ष एक अलग थीम को लेकर इस दिन को मनाया जाता है। इस वर्ष 2021 में असमान विश्व में मानसिक स्वास्थ्य को इस बार की थीम के रुप में लिया गया है। वर्ष 1992 में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य दिवस को मनाया गया था। आजकल की भागदौड़ भरी जि़ंदगी में हर शख्स पर कामयाब होने की धुन सवार है। कामयाब होने की ललक ऐसी होती है कि जो लोगों में अनजाने में ही सही लेकिन तनाव, दबाव, और प्रतियोगिता करने की भावना जागृत कर देती है। यही सब बातें मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती हैं। हालांकि सिर्फ यही कारक नहीं हैं जो मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए जिम्मेदार हैं। जानकार कई और वजहों को भी किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए असरदार मानते हैं। इसमें समाज, परिवार, दोस्त, नौकरी, घर का माहौल, जि़ंदगी के कड़वे अनुभव, हादसा, पोषण-आहार, रिश्तेदार, जीवन में आने वाली परेशानियों को हैंडल करने का तरीका, समस्या के प्रति संवेदनहीनता भी शामिल है।आज कल पेशेवर खिलाड़ी हों या फिल्म जगत की मशहूर हस्तियां, सभी लोग अब इस बारे में खुलकर बात करने लगे हैं । ये लोग अपने अनुभवों को सामाजिक माध्यम के जरिए और परंपरागत माध्यमों के जरिए जाहिर करने लगे हैं। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। एक संपूर्ण स्वस्थ शरीर की परिभाषा में तन, मन और मस्तिष्क तीनों ही अंगों को शामिल किया जाता है।
पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ियों ने मौजूदा खेलों में कामयाब होने और हर बार बेहतरीन प्रदर्शन करने के दबाव के चलते, मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ाने की बात कही। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ये खिलाड़ी दुनिया भर के एथलीटों में शारीरिक रुप से सबसे फिट माने जाते हैं लेकिन ऐसे फिट लोगों ने भी मानसिक रुप से स्वस्थ्य रहने की बात को काफी अहम बताया। चाहे पेशा कोई भी हो लेकिन ये समस्या किसी भी शख्स को अपने आगोश में ले सकती है।
जिंदगीं के रास्ते में परेशानी रोज आती हैं और लेकिन उन परेशानियों पर जो लोग जीत हासिल कर लेते हैं, वे मानसिक रुप से सशक्त माने जाते हैं लेकिन कई बार परेशानियों का रुप इतना विकराल होता है कि पुराने अनुभव, दोस्त, रिश्तेदार, घरेलू सदस्य भी पीड़ित व्यक्ति की मदद नहीं कर पाते, ऐसे में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका काफी बढ़ जाती है। वे अपने पेशेवर अनुभव की वजह से पीड़ित की समस्या सुनकर उसका निदान भी बताते हैं और उनसे चर्चा कर उम्मीद की रौशनी भी दिखाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की समस्या किसी भी शख्स के साथ हो सकती है, और बीमारी पीड़ित की आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक हैसियत को देखे बिना किसी भी व्यक्ति को परेशान कर सकती है। लेकिन अगर किसी शख्स के आस-पास का माहौल में, इस बीमारी से जुड़ी संवेदना नहीं हो तो हालात और भी खराब हो सकते हैं। इसलिए इस वर्ष मौजूदा असमान विश्व में मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत को बताने की कोशिश की जा रही है, आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति अच्छी ना हो तब भी इसके प्रति संवेदनशील होना बहुत जरूरी है, इस बात को खास तौर पर रेखांकित किया जा रहा है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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