विश्व में जी-20 देशों का महत्व और बढ़ेगा
विश्व में जी-20 देशों का महत्व और बढ़ेगा
बीजिंग:
विश्व भर के महत्वपूर्ण देशों के समूह जी-20 की स्थापना वर्ष 1999 में हुई थी। जैसा कि नाम से विदित है इस समूह में 20 सदस्य शामिल हैं जिसमें 19 देश हैं और 20वें सदस्य के रुप में यूरोपियन यूनियन हैं जो कि यूरोप के 27 देशों का समूह है। इस समूह के सदस्य देश वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर समय-समय पर एक दूसरे से चर्चा करते रहते हैं। जी-20 के सदस्य देशों पर नजर दौड़ाएं तो इसमें अर्जेंटीना, ब्राजील और मैक्सिको दक्षिण अमेरिका महाद्वीप से हैं तो भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और सऊदी अरब, एशिया महाद्वीप से हैं। उत्तरी अमेरिका महाद्वीप से संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा शामिल हैं तो अफ्रीका महाद्वीप से दक्षिण अफ्रीका और एशिया प्रशांत से ऑस्ट्रेलिया इस समूह में शामिल है। जबकि रशिया, यूनाईटेड किंग्डम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, टर्की और यूरोपियन यूनियन भी इस समूह के महत्वपूर्ण देशों के रुप में शामिल हैं। इस वर्ष ब्रुनेई, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, नीदरलैंड्स, रवांडा, सिंगापुर और स्पेन को आमंत्रित अतिथियों के रुप में शामिल किया गया है।इस वर्ष इटली ने जी-20 की 16वीं बैठक की मेजबानी की और मेजबान शहर के रुप में रोम में तमाम वैश्विक नेता 30 और 31 अक्टूबर को ऑनलाईन और ऑफलाईन मोड में जुड़े और अपनी बात रखी। जी-20 समूह की पहली बैठक वर्ष 2008 में वॉशिंग्टन में हुई थी। वर्ष 2016 में चीन के शहर हांगचोऊ ने 11 वीं बैठक की मेजबानी की थी जबकि वर्ष 2023 में जी-20 समूह की 18 वीं बैठक की मेजबानी नईदिल्ली में संभावित है। वहीं इस समूह की अगली बैठक वर्ष 2022 में इंडोनेशिया के शहर बाली में होने जा रही है। ये सभी देश आखिरी बार 2019 में जापान के शहर ओसाका में सम्मिलित हुए थे।
वैश्विक आर्थिक ²ष्टिकोण से जी-20 समूह के सभी देशों की कुल जीडीपी करीब 6000 लाख करोड़ है और इस लिहाज से इस समूह पर विश्व की कई जिम्मेदारियां हैं। जी-20 समूह में विकसित और विकासशील दोनों ही अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। विश्व के इस महत्वपूर्ण समूह पर अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी मुद्दों जैसे पर्यावरण को संभालना, वैश्विक टीकाकरण और आर्थिक सहभागिता को मजबूत करने की जिम्मेदारी भी है। इस समूह के सभी सदस्य वर्ष में एक बाद जरूर मिलते हैं, जिसमें सभी देशों के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति, विदेश मंत्री, वित्तमंत्री जैसे पदों पर आसीन प्रमुख व्यक्ति शामिल होते हैं।
जी-20 समूह में एशियाई देशों का महत्व आगे आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा क्योंकि अब वैश्विक अर्थव्यवस्था का केन्द्र बिंदु एशिया ही होने जा रहा है। भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और सऊदी अरब जैसे देश इस समूह के सदस्य हैं जबकि सिंगापुर और आसियान के सदस्य देशों सहित अन्य एशियाई देशों की भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी बढ़ती जा रही है। इसलिए आसियान समूह को हमेशा अतिथि के रुप में आमंत्रित किया जाता है। इसके अलावा वैश्विक आर्थिक संस्थाओं जैसे वल्र्ड बैंक, वल्र्ड ट्रेड ऑगेर्नाइजेशन, आईएमएफ, आईएलओ, ओईसीडी को भी हमेशा जी-20 समूह की बैठक में बुलाया जाता है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व स्वास्थ्य संगठन , अफ्रीकन यूनियन, फूड एंड एग्रीकल्चर ऑगेर्नाइजेशन को भी परमानेंट गेस्ट ईन्वाइटी का दर्जा मिला हुआ है। साथ ही स्पेन और अफ्रीका के नए देशों के समूह को भी स्थाई अतिथि के रुप में हर वर्ष आमंत्रित किया जाता है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
-- आईएएनएस
आरजेएस
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