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चीन में तिब्बत को क्या क्या स्वायत्त अधिकार है

चीन में तिब्बत को क्या क्या स्वायत्त अधिकार है

Updated on: 31 Aug 2021, 06:45 PM

बीजिंग:

1 सितंबर को चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना का स्मृति दिवस है। 1 सितंबर 1965 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की प्रथम जन प्रतिनिधि सभा का पहला सत्र ल्हासा में आयोजित हुआ। इसमें मतदान से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन समिति पैदा हुई और न्गबो न्गावांग जिगमे स्वायत्त प्रदेश जन समिति के अध्यक्ष चुने गये। तब से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की औपचारिक स्थापना हुई और तिब्बती जनता सही माइने में खड़े होकर नये समाज की मालिक बन गयी। पिछले कई दशकों में तिब्बत में जातीय स्वायत्त व्यवस्था का चौतरफा कार्यांवयन हुआ और उसका सुधार भी होता रहा।

चीनी संविधान और अल्पसंख्यक क्षेत्रों की स्वायत्तता कानून के अनुसार तिब्बत को राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति आदि पहलुओं में व्यापक स्वायत्त अधिकार हैं। स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के बाद तिब्बती जनता सक्रियता से देश और स्वायत्त प्रदेश की विभिन्न स्तरों की जन प्रतिनिधि सभा के चुनाव में भाग लेते हैं और जन प्रतिनिधियों के जरिये देश और क्षेत्र के मामलों के प्रबंधन में भाग लेते हैं। तिब्बत के जिले और कस्बे स्तर के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी दर हमेशा 90 प्रतिशत से अधिक बनी रहती है। वर्ष 2018 में घोषित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की 11वीं जन प्रतिनिधि सभा के 439 प्रतिनिधियों में तिब्बती और अन्य अल्पसंख्यक जातियों के 289 प्रतिनिधि हैं, जिनका अनुपात 65.83 प्रतिशत है।

इस के अलावा चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की तिब्बत समिति में अधिकांश सदस्य तिब्बती और अन्य अल्पसंख्यक जातियों के लोग हैं। उल्लेखनीय बात है कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश तिब्बती और अन्य अल्पसंख्यक जातियों के अधिकारी और कार्यकर्ता तैयार करने को बड़ा महत्व देता है। आंकड़ों के अनुसार तिब्बती जाति के अधिकारियों और कार्यकर्ताओं का अनुपात 70 प्रतिशत से अधिक है। विभिन्न स्तर की सरकारी संस्थाओं में तिब्बती लोग मुख्य भूमिका निभाते हैं ।

चीन के संबंधित कानून के मुताबिक अगर ऊपरी स्तर की सरकारी संस्थाओं के प्रस्ताव, फैसले व निर्देश अल्पसंख्यक स्वायत्त क्षेत्र की वस्तुगत स्थिति से नहीं मेल खाता है, तो स्वायत्त संस्था ऊपरी विभाग से रिपोर्ट कर मंजूरी प्राप्त करने के बाद संबंधित प्रस्ताव व निर्देश का कार्यावयन बंद कर सकती हैं या अपनी स्थिति के मुताबिक कुछ सुधार कर लागू कर सकती हैं।

उदाहरण के लिए राष्ट्रीय कानूनी छुट्टी नियमावली के आधार पर तिब्बती स्वायत्त संस्था ने तिब्बती पंचांग के नये साल और श्यो तुन (दही त्योहार) आदि तिब्बती जाति के परंपरागत त्योहार को स्वायत्त प्रदेश की छुट्टियां निर्धारित कीं। तिब्बत की विशेष भौगोलिक स्थिति के अनुसार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने एक हफ्ते में कर्मचारियों के काम का समय 35 घंटे निर्धारित किया, जो देश के कानूनी कामगार समय से 5 घंटे से कम है। और मसलन के लिए वर्ष 1981 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति ने अल्पसंख्यक जाति की रीति रिवाज के अनुसार संबंधित नियमावली पारित कर चीनी विवाह कानून में निर्धारित विवाह की निम्न कानूनी आयु को दो वर्ष तक घटाया।

आंकड़ों के अनुसार तिब्बत की निधान संस्था ने 250 से अधिक स्थानीय कानून तथा नियमावलियां बनायीं और कई राष्ट्रीय कानूनों के प्रति तिब्बत की विशेषता से मेल खाने वाले कार्यांवयन उपाय बनाये। इस कदमों ने तिब्बती जनता के विशेष हितों की कारगर सुरक्षा की।

अल्पसंख्यक क्षेत्र की स्वायत्त व्यवस्था के तहत तिब्बत का आर्थिक और सामाजिक विकास निरंतर नयी मंजिल पर पहुंचता है। वर्ष 1965 में तिब्बत का जीडीपी सिर्फ 32 करोड़ 70 लाख युवान था, जबकि वर्ष 2020 में तिब्बत का जीडीपी 1 खरब 90 अरब युवान पहुंचा। अब समग्र तिब्बत में देश के अन्य क्षेत्रों के साथ अति गरीबी दूर की गयी है और तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता चौतरफा तौर पर खुशहाल समाज में प्रवेश कर चुकी है।

(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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