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लोकमतों के आधार पर ही निर्णय लेना पड़ेगा

लोकमतों के आधार पर ही निर्णय लेना पड़ेगा

Updated on: 26 Oct 2021, 11:30 PM

बीजिंग:

समाज के लिए लोकतंत्र की आवश्यकता क्यों है? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसे स्पष्ट किया जाना चाहिए। लोकतंत्र का मूल अर्थ यह है कि लोग खुद को व्यवस्थित और प्रबंधित करते हैं। लेकिन समाज के काफी विकसित होने के बाद लोगों को सार्वजनिक अधिकार पर भरोसा करना चाहिए, जिससे देश नाम्क राजनीतिक व्यवस्था कायम की गयी है। उधर सरकार की सार्वजनिक अधिकार की निगरानी और नियंत्रण के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना की गयी है। संक्षेप में, लोकतंत्र का अर्थ है कि सभी राजनीतिक निर्णय लोगों की इच्छा और हितों पर आधारित होने चाहिए।

हालांकि, लोकतंत्र के कई स्वरूप हैं। मतदान करना और लोकतांत्रिक परामर्श करना दोनों ही लोकतंत्र हैं। मतदान की तुलना में, परामर्श एक अधिक प्रत्यक्ष लोकतंत्र है। किसी भी तरह से, लोगों के अपने मामलों के स्वामी होने के अधिकार की रक्षा करना मौलिक है। सच्चे लोकतंत्र को न केवल व्यक्तियों का विकास सुनिश्चित करना चाहिए, बल्कि देश की स्थिरता और व्यवस्था को भी सुनिश्चित करना चाहिए। व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के साथ हमें सामाजिक प्रगति और राष्ट्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना चाहिए। यदि किसी लोकतंत्र की स्थापना से देश को भी गड़बड़ कर दिया गया है, तो इस प्रकार के लोकतंत्र को केवल निम्न लोकतंत्र कहा जा सकता है। कई देशों की स्थितियों से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि इस तरह की निम्न लोकतंत्र के माध्यम से सामाजिक प्रगति हासिल नहीं होने के अतिरिक्त लोगों के हितों को भी नुकसान पहुंचाया जाएगा। कुछ देशों में, जहां पश्चिमी संसदीय लोकतंत्र कायम हो चुकी है, और वोट देने वाले अधिकार की प्राप्ति भी है, आम लोगों के बुनियादी अस्तित्व अधिकार की गारंटी भी नहीं हो सकती।

उधर चीन दुनिया को लोकतंत्र का एक और रास्ता दिखा रहा है। चीन में राष्ट्रीय कानून की स्थापना से लेकर टाउनशिप स्तरीय रूपरेखा की स्थापना के मामले तक। चीन में हर साल राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा का आयोजन किया जाता है, और सभा में लगभग 3,000 प्रतिनिधि केंद्र सरकार की प्रमुख नीतियों पर चर्चा और अनुमोदन करते हैं। प्रत्येक प्रांत, शहर और काउंटी स्तर का भी अपना अपना जन प्रतिनिधि सम्मेलन होता है, जहां प्रतिनिधि स्थानीय शासन पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से मिलते हैं। चीन की लोकतांत्रिक प्रणाली दीर्घकालीन अभ्यास के माध्यम से सफल और प्रभावी साबित हुई है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि हमारे देश के लोकतंत्र की पूरी प्रक्रिया में प्रक्रिया लोकतंत्र और परिणाम लोकतंत्र, प्रक्रियात्मक लोकतंत्र और वास्तविक लोकतंत्र, प्रत्यक्ष लोकतंत्र और अप्रत्यक्ष लोकतंत्र, और लोकतंत्र तथा देश की इच्छा की एकता प्राप्त होती है। यदि लोगों को केवल मतदान के दौरान बुलाया गया और मतदान के बाद एक तरफ छोड़ा गया, और उन्हें केवल चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के वादे सुनाये गये, और चुनाव के बाद कोई अधिकार नहीं प्राप्त होगा, तो ऐसा लोकतंत्र सच्चा लोकतंत्र नहीं है।

पश्चिमी देशों ने 20वीं सदी में सार्वभौम मताधिकार प्रणाली में धीरे-धीरे सुधार किया और तथाकथित प्रतिनिधि लोकतंत्र का गठन किया। हालाँकि, मतदाता निर्णय लेने का अधिकार सांसदों को देते हैं, लेकिन मतदाता संसद के सभी निर्णयों की निगरानी नहीं कर सकते। इससे संसद के निर्णय लेने की प्रक्रिया अक्सर मतदाताओं की इच्छा और हितों से अलग हो जाती है। उधर चीन की लोकतांत्रिक व्यवस्था का सिद्धांत व्यक्तिगत स्वतंत्रता से नहीं, बल्कि लोगों की एकता और समाज के समग्र हितों से आधारित है। आधुनिक इतिहास में चीन ने पश्चिमी शैली की लोकतांत्रिक राजनीति को स्थापित करने और चुनाव कराने का भी प्रयास किया था, लेकिन ये कोशिशें सब विफल रही थीं।

उधर वास्तविकता से अलग कोई भी सिद्धांत खोखला ही है। राजनीतिक प्रणालियों का मूल्यांकन तथ्यों के आधार पर ही किया जाना चाहिये। लोकतंत्र लोगों की उम्मीदों का उद्देश्य नहीं है, यह लोगों की उम्मीदों को पूरा करने का एक साधन मात्र है। देश का पुनरोद्धार, समाज का विकास और प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा, स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति लोगों की मूलभूत उम्मीदें हैं। नये चीन की स्थापना के बाद इधर 70 से अधिक वर्षों के बाद, चीन एक पिछड़े देश से उन्नत तकनीक के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हुआ है। यह तथ्य चीन की लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफलता को साबित करता है। इस प्रणाली के माध्यम से चीनी लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की भी प्रभावी गारंटी दी गई है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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