यूएन महासभा में जलवायु परिवर्तन को लेकर चीन के वादे में कितना है दम?
यूएन महासभा में जलवायु परिवर्तन को लेकर चीन के वादे में कितना है दम?
बीजिंग:
76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम बहस में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सभी संबंधित पक्ष एकजुट होने की बात कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस बाबत अन्य नेताओं से आह्वान किया है। ऐसे में चीन, भारत व अमेरिका जैसे देशों की भूमिका अहम हो जाती है। हालांकि पूर्व में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पेरिस समझौते से हट गए थे। जिससे वैश्विक जलवायु परिवर्तन के मुकाबले के प्रयासों को झटका लगा था। लेकिन अब अमेरिका फिर से इस संकट से निपटने पर जोर दे रहा है। चीन ने भी इस संबंध में वादा किया है, चीन की बातों में कितना दम है, हम इस लेख के जरिए जानेंगे।चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने महासभा में अहम भाषण देते हुए कहा कि चीन विकासशील देशों में हरित और निम्न-कार्बन ऊर्जा के विकास को समर्थन देगा। इसके साथ ही चीन विदेशों में कोयला चालित बिजली परियोजनाएं भी नहीं चलाएगा। चीनी राष्ट्रपति के बयान से स्पष्ट हो जाता है कि चीन जलवायु परिवर्तन के मुकाबले में अग्रणी रोल अदा करने के लिए प्रतिबद्ध है। चीनी राष्ट्रपति के वक्तव्य की यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी प्रशंसा की है।
ऐसा नहीं है कि चीनी नेता ने सिर्फ भाषण में ही जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीरता दिखाई हो। चीन हकीकत में भी पिछले कुछ समय से कम कार्बन उत्सर्जन वाली परियोजनाओं को बढ़ावा दे रहा है। ज्यादा ऊर्जा खपत वाले उद्यमों को बंद करने या उनका विकल्प ढूंढने के लिए चीन ने संकल्प जताया है। गौरतलब है कि चीन ने वर्ष 2030 से पहले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के स्तर को चरम पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है, साथ ही 2060 से पहले कार्बन तटस्थता का लक्ष्य भी चीन हासिल करना चाहता है।
यहां बता दें कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में पारिस्थितिकी विकास के साथ-साथ कार्बन डाईऑक्साइड के स्तर में कमी लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। जिनमें हरित विकास के साथ-साथ निम्न-कार्बन व चक्रीय अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना शामिल है। वहीं चीन सरकार व संबंधित विभागों ने पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए भी व्यापक प्रयास किए हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि हाल के वर्षों में दुनिया का हर क्षेत्र बाढ़, सूखा, तूफान व गर्म मौसम से परेशान रहा है। इसके लिए विश्व के बड़े व विकसित देशों को अधिक जि़म्मेदारी दिखाने की आवश्यकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि वर्तमान महासभा में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सभी पक्ष गंभीरता दिखाएंगे।
(अनिल आजाद पांडेय ,चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)
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