रेगिस्तान के उपयोग के साथ इसका नियंत्रण भी कर सकते हैं मानव

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

इस वर्ष के 23 से 26 दिसंबर तक अंतर्राष्ट्रीय सहारा रेगिस्तान महोत्सव मनाया जाएगा। इस महोत्सव की स्थापना 20वीं शताब्दी की आरंभ में की गयी। सबसे पहले वह ट्यूनीशिया में स्थानीय खानाबदोश जाति का ऊंट उत्सव था। अब वह एक अंतर्राष्ट्रीय कला दिवस बन गया है, जो हर साल बहुत से विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

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सहारा रेगिस्तान 25 लाख वर्षों पहले बना था, जो विश्व में सबसे बड़ा रेतीला रेगिस्तान है। इसका कुल क्षेत्रफल पूरे अमेरिका के बराबर है। वास्तव में विश्व के कई क्षेत्रों में रेगिस्तान देखा जा सकता है। उदाहरण के लिये दक्षिण एशिया में भारत का थार रेगिस्तान और पूर्वी एशिया में चीन का तकलामाकान रेगिस्तान इत्यादि।

हालांकि, रेगिस्तान में मौसम बहुत खराब है, और कम वनस्पति व जीव वहां रहते हैं। पर रेगिस्तान का अपना विशेष ²श्य भी होता है। कुछ देशों ने इसका लाभ उठाते पर्यटन व्यवसाय का विकास किया है।

चीन में कई सुन्दर रेगिस्तान हैं, जो पर्यटन के योग्य हैं। पहला है बदैन चिलिन रेगिस्तान का भीतरी भाग। यह चीन का तीसरा बड़ा रेगिस्तान है, और भीतरी मंगोलिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। वहां दुनिया का सबसे ऊंचा रेत का टीला भी मिल सकता है। दूसरा है तकलामाकान रेगिस्तान। यह चीन का सबसे बड़ा रेगिस्तान है, जो विश्व का दसवां सबसे बड़ा रेगिस्तान होने के साथ विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बहता हुआ रेगिस्तान भी है। तीसरा है क्रिसेंट लेक के साथ सिंगिंग सैंड्स माउंटेन। वहां रेगिस्तान में एक सुन्दर झील स्थित है। यह झील उत्तर से दक्षिण तक लगभग 100 मीटर लंबा और पूर्व से पश्चिम तक 25 मीटर चौड़ा है। झील का सबसे गहरा हिस्सा तो 5 मीटर है। क्योंकि झील का आकार नवचंद्र की तरह है, इसलिये उसे क्रिसेंट लेक कहा जाता है।

गौरतलब है कि चीन में रेगिस्तान का उपयोग करने के साथ इसका नियंत्रण भी किया जा रहा है। हर वर्ष मध्य मार्च से मई के अंत तक चीन के सातवें बड़े रेगिस्तान कुबुकी में वृक्षारोपण का मौसम आता है। पहले कुबुकी में रेत के अलावा कुछ भी नहीं था, लेकिन पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों की कोशिशों से यहां हरा-भरा क्षेत्र बन रहा है। युग के विकास के साथ रेत नियंत्रण और वृक्षारोपण की तकनीकों में भी निरंतर नवाचार देखा गया है।

हाल के दस वर्षों में न्यूनतम इन्वेसिव वृक्षारोपण तकनीक कुबुकी रेगिस्तान में बड़े पैमाने पर कारगर रूप से प्रयोग की जा रही है। साथ ही इस तकनीक के प्रयोग से बड़ी सफलताएं भी प्राप्त हुई हैं। कुबुकी रेगिस्तान में पैदा इस न्यूनतम इन्वेसिव वृक्षारोपण तकनीक का प्रयोग अब चीन के अन्य क्षेत्रों में भी किया जाने लगा है। साथ ही इस तकनीक का परिचय कुबुकी रेगिस्तान मंच के माध्यम से विश्व में पहुंच चुका है। उम्मीद है कि चीन से निकली यह तकनीक पूरी पृथ्वी को ज्यादा हरियाली दे सकेगी।

(चंद्रिमा - चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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