चीन: मानवीय संकट अफगानिस्तान में सबसे गंभीर और जरूरी चुनौती है
चीन: मानवीय संकट अफगानिस्तान में सबसे गंभीर और जरूरी चुनौती है
बीजिंग:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 17 नवंबर को अफगानिस्तान पर सार्वजनिक सम्मेलन आयोजित किया। संयुक्त राष्ट्र में स्थित चीनी स्थायी प्रतिनिधि चांग च्युन ने मौके पर कहा कि वर्तमान में अफगानिस्तान अराजकता से शासन में संक्रमण के एक महत्वपूर्ण चरण में है, वह मानवता, अर्थव्यवस्था, आतंकवाद के विरोध और राजनीति समेत चार चुनौतियों का सामना कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर सहयोग मजबूत करते हुए समय पर मदद देनी चाहिए। ्रचांग च्युन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को समन्वय की भूमिका निभाते हुए सभी पक्षों को अफगानिस्तान के प्रति मानवीय सहायता का जल्द से जल्द कार्यान्वयन करने के लिए एकजुट करना चाहिए। लंबे समय की ²ष्टि से अफगानिस्तान को अपने घरेलू बाजार को बहाल करने, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग में भाग लेने और स्वस्थ विकास के मार्ग पर चलने में मदद करना आवश्यक है। चीन ने विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से अफगानिस्तान के प्रति वित्तीय सहायता फिर से शुरू करने पर विचार करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सक्रिय रूप से संपर्क करना और मार्गदर्शन करना चाहिए और स्वायत्त, स्थिर और प्रभावी राष्ट्रीय शासन प्राप्त करने में अफगानिस्तान का समर्थन करना चाहिए। अफगानिस्तान की सभी पार्टियों और जातीय समूहों का सकारात्मक रूप से मार्गदर्शन किया जाना चाहिए, व्यापक और समावेशी राजनीतिक अभिविन्यास का पालन करने, उदार और स्थिर घरेलू और विदेश नीति को लागू करने, जातीय अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा करने और पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण सहयोग करने के लिए अफगानिस्तान को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही आतंकवाद के फिर से सक्रिय होने पर अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए।
चांग च्युन ने कहा कि अफगानिस्तान संबंधी विभिन्न तंत्रों को समन्वय को मजबूत करना चाहिए और एक संयुक्त बल बनाना चाहिए। अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों ने आधिकारिक तौर पर एक समन्वय और सहयोग तंत्र शुरू किया है। चीन अगले साल विदेश मंत्रियों के तीसरे सम्मेलन की मेजबानी करेगा, ताकि पड़ोसी देशों के बीच सहयोग मजबूत किया जा सके और अफगानिस्तान की दीर्घकालिक स्थिरता और स्थिरता में योगदान दिया जा सके।
चांग च्युन ने बताया कि मानवीय संकट अफगानिस्तान में सबसे गंभीर और जरूरी चुनौती है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन और विश्व खाद्य प्रोग्राम की हालिया रिपोटरें से पता चलता है कि अफगानिस्तान की आधी से अधिक आबादी अभूतपूर्व भुखमरी का सामना कर रही है। यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि इस साल के अंत तक 5 साल से कम उम्र के 32 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हो जाएंगे। अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गयी तो इससे 10 लाख बच्चों की मौत हो सकती है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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