अमेरिका-चीन संबंध बेहतर होने से दुनिया को होगा फायदा
अमेरिका-चीन संबंध बेहतर होने से दुनिया को होगा फायदा
बीजिंग:
चीन और अमेरिका के तनावपूर्ण रिश्तों की लगातार चर्चा हो रही है, क्योंकि दोनों दुनिया की दो प्रमुख शक्तियां हैं। लेकिन अमेरिका द्वारा बार-बार चीन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप से संबंध कमजोर हुए हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन काल में द्विपक्षीय रिश्ते बहुत खराब हो गए थे। हालांकि जो बाइडेन के सत्ता में आने के बाद संबंधों में थोड़ा सुधार देखा गया है। इस बीच जल्द ही चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की वीडियो मुलाकात होने वाली है। उम्मीद की जा रही है कि इस भेंट से कुछ न कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आएगा।चीनी विश्लेषक कहते हैं कि दोनों पक्षों के बीच जो भी समस्याएं मौजूद हैं, उन्हें बातचीत के जरिए सुलझाना होगा। क्योंकि शीत-युद्ध की मानसिकता से रिश्तों को पटरी पर नहीं लाया जा सकता है। वैसे यह भी जाहिर है कि दोनों देशों के बीच हर मुद्दे पर एक राय नहीं हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दोनों के संबंध बेहतर नहीं हो सकते। लेकिन उसके लिए बातचीत व सहयोग की आवश्यकता है। दोनों देशों के राष्ट्रपतियों की ऑनलाइन मुलाकात से पहले चीनी स्टेट काउंसलर व विदेश मंत्री वांग यी और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन की फोन वार्ता को अहम बताया गया। बताया जाता है कि चीन अमेरिका के साथ तालमेल बिठाते हुए आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन वह अपनी संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करना चाहता है। इसकी झलक पूर्व में चीनी नेताओं के बयानों से भी स्पष्ट हो जाती है। जिसमें उन्होंने थाइवान मसले पर अमेरिकी हस्तक्षेप को लेकर कड़ा रुख अपनाया। इसके साथ ही हांगकांग व चीन के अन्य मामलों पर भी अमेरिका से बेवजह दखलंदाजी न करने को कहा गया है।
चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका को चीन-अमेरिका के बीच संपन्न संयुक्त विज्ञप्तियों में किए गए वादे का पालन करने की जरूरत है। जिसमें उसने एक चीन की नीति अपनाने की प्रतिबद्धता जताई थी। लेकिन अमेरिकी नेता समय-समय पर चीन को उकसाने के लिए थाइवान कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। जो रिश्ते बेहतर होने की राह में बहुत बड़ी बाधा है।
ऐसा नहीं है कि अमेरिका और चीन के बीच सिर्फ विवाद ही मौजूद हैं, दोनों पक्षों में सहयोग की संभावना भी नजर आती है। जलवायु परिवर्तन से लेकर आतंकवाद के मुकाबले में दोनों की अहम भूमिका है। इन दोनों राष्ट्रों की पहल के बिना इन वैश्विक चुनौतियों से निपटना आसान नहीं है। वहीं चीन ने बार-बार कहा कि वह अमेरिका के साथ रिश्तों को सुधारने का पक्षधर है। लेकिन इसके लिए अमेरिकी नेताओं को भी गंभीरता दिखानी होगी। कुछ समय पहले अमेरिका स्थित चीनी राजदूत ने चीन द्वारा संबंधों को पटरी पर लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की चर्चा की थी। जिसमें जोर देकर कहा गया है कि चीन सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना चाहता है, लेकिन इसके लिए उस देश द्वारा भी सही दिशा में पहल करने की आवश्यकता है।
ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि शी और बाइडेन की बहु-प्रतीक्षित भेंट से कुछ न कुछ बेहतर परिणाम निकलेगा।
(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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