रूस द्वारा यूरोप को प्राकृतिक गैस भेजने वाली सबसे बड़ी पाइपलाइन नॉर्स स्ट्रीम-1 11 से 21 जुलाई तक रखरखाव की वजह से अस्थायी रूप से बंद रहेगी, जिसने यूरोपीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद यूरोप ने रूस के खिलाफ पाबंदी लगा दी, जिसके चलते रूस ने यूरोप को दी जाने वाली प्राकृतिक गैस की सप्लाई को कम कर दिया, जिससे यूरोप में प्राकृतिक गैस के दाम में तेजी आ गई है। ऊर्जा संकट में यूरोपीय लोगों को विवश होकर मुश्किल जीवन बिताना पड़ रहा है।
हालांकि फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इटली, ग्रीस आदि कई देशों की सरकार सबसे खराब परिणाम की तैयारी कर रही हैं, फिर भी यूरोप जल्द ही रूसी प्राकृतिक गैस की जगह लेने वाली गैस को प्राप्त नहीं कर पा रहा है।
ऊर्जा संकट से यूरोप में मुद्रास्फीति बढ़ रही है, जिसने आम यूरोपीय लोगों के जीवन पर असर डाला है। यूरोप में आर्थिक विकास धीमा बना हुआ है, यूरो जोन में आर्थिक मंदी होने की चिंता पैदा हो गयी। 12 जुलाई को अमेरिकी डॉलर के साथ यूरो की विनिमय दर करीब 1:1 तक पहुंच गई है, जो बीते 20 वर्षों में न्यूनतम स्तर पर है। ज्यादा से ज्यादा यूरोपीय लोगों को एहसास हुआ कि वे रूस-यूक्रेन मुठभेड़ के सबसे बड़े पीड़ित हैं।
तथ्यों से बार-बार साबित हुआ है कि एकतरफा पाबंदी लगाने से समस्या का हल नहीं किया जा सकता, जबकि नयी समस्याएं उभरेंगी। यूरोपीय राजनेता अमेरिका का अनुसरण कर गलत रास्ते पर चल रहे हैं। उन्हें और सक्रिय और कारगर तरीकों से शांति वार्ता को प्रेरित कर संकट को दूर करना चाहिए, ताकि यूरोपीय लोग एक गर्म सर्दी बिता सकें।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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Source : IANS