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छिंगहाई-तिब्बत पठार पर संरक्षण के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण मंच की प्रारंभिक स्थापना

छिंगहाई-तिब्बत पठार पर संरक्षण के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण मंच की प्रारंभिक स्थापना

Updated on: 14 Nov 2021, 08:20 PM

बीजिंग:

छिंगहाई-तिब्बत पठार एशिया की जल मीनार और पृथ्वी का तीसरा ध्रुव है। पारिस्थितिक पर्यावरण नाजुक और संवेदनशील है, और इसका चीन और दुनिया की जलवायु और पारिस्थितिक पर्यावरण सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। 2017 में दूसरा छिंगहाई-तिब्बत वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू होने के बाद से सिलसिलेवार परिणाम प्राप्त हुए हैं। छिंगहाई-तिब्बत पठार पर पृथ्वी प्रणाली की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण मंच की प्रारंभिक स्थापना हुई, और पारिस्थितिक पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन का वैज्ञानिक सर्वेक्षण चल रहा है।

वर्तमान में यार्लुंग जांग्पो नदी की मुख्य शाखा नदी ल्हासा नदी की वाटरशेड में मौसम विज्ञान, हिमनद, हाइड्रोलॉजी, पारिस्थितिकी और पर्यावरण के लिए एक व्यापक प्रारंभिक अवलोकन प्रणाली स्थापित की गई है, और बहाली व प्रबंधन कार्य शुरू किया गया है। वैज्ञानिक अभियान दल ने ल्हासा नदी नंबर 1 ग्लेशियर क्षेत्र में ग्लेशियर पार्क का संरक्षण कार्य शुरू किया और जलवायु वामिर्ंग से हो रहे ग्लेशियरों के पिघलने को धीमा किया।

चीनी विज्ञान अकादमी के छिंगहाई-तिब्बती पठार अनुसंधान संस्थान के उप निदेशक आन पाओ ने कहा कि वैज्ञानिक अवलोकन, योजना, प्रबंधन और संरक्षण के माध्यम से वह पूरे छिंगहाई-तिब्बत पठार के उच्च गुणवत्ता वाले विकास की सेवा करता है।

पिछले पांच वर्षों में, एशिया की जल मीनार के गतिशील परिवर्तन और प्रभाव समेत दस वैज्ञानिक अनुसंधान मिशनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए दूसरे छिंगहाई-तिब्बत वैज्ञानिक अभियान ने एक व्यापक अध्ययन किया है और पहाड़-जन-वन-खेत-झील-घास-रेत-बर्फ एकीकृत संरक्षण और पृथ्वी प्रणाली के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण मंच स्थापित किया।

( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )

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