एक बार विलंबित हो चुका अमेरिका-आसियान विशेष शिखर सम्मेलन स्थानीय समय के अनुसार, 13 मई को वाशिंगटन में संपन्न हुआ।
अमेरिका द्वारा तथाकथित इंडो-पैसिफिक रणनीति के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में माने जाने वाले इस शिखर सम्मेलन ने वास्तविक इरादे से लेकर अंतिम परिणाम तक बहुत सारे विवाद पैदा किए हैं। शिखर सम्मेलन की समाप्ति पर जारी संयुक्त बयान में भी कुछ वास्तविक विषय नहीं हैं। विश्लेषकों का विचार है कि यह अमेरिका के कथनी और करनी में फर्क का अपरिहार्य परिणाम है। अमेरिका कहता कि वह एशिया में अपने दोस्तों के दायरे का विस्तार करना चाहता है, लेकिन मन में चीन का दमन करना चाहता है।
इस बार अमेरिका ने आसियान में 15 करोड़ डॉलर का निवेश करने का वचन दिया। आसियान के दस सदस्य देश हैं, इस निवेश राशि का बंटवारा करके हर एक देश को बहुत कम राशि मिलेगी। लेकिन इसके दो दिन पहले, अमेरिकी प्रतिनिधि सदन ने यूक्रेन विधेयक के लिए 40 अरब डॉलर की सहायता पारित की है। इसकी तुलना में लोग अमेरिका के मन में आसियान का स्थान महसूस कर सकते हैं।
निवेश की इस छोटी सी राशि के लिए भी अमेरिका ने स्पष्ट रूप से व्यवस्था की है, जिसमें से सबसे बड़े हिस्से यानी 6 करोड़ डॉलर का उपयोग समुद्री-संबंधित परियोजनाओं में किया जाएगा। अमेरिका के कथन में इसका उद्देश्य समुद्री रक्षा क्षमताओं में सुधार के लिए भागीदार देशों की सहायता करना है। विश्लेषकों का मानना है कि वाशिंगटन का उद्देश्य दक्षिण चीन सागर में हेरफेर और कार्रवाई करना है।
हाल के वर्षों में अमेरिका एक तरफ क्षेत्रीय मामलों में आसियान की केंद्रीयता का सम्मान करने का दावा करता है, लेकिन दूसरी तरफ वह तथाकथित त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी और क्वाड जैसी कार्रवाई करने से आसियान की आंतरिक एकता को नष्ट करता है। मौजूदा शिखर सम्मेलन की कुचेष्टा के बारे में आसियान को स्पष्ट रूप से मालूम है। फिलिपींस के नव निर्वाचित राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस ने कहा कि उनका देश किसी महाशक्ति के साथ गठबंधन नहीं करेगा, बल्कि अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाएगा।
मौजूदा शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा करेंगे और टोक्यो में क्वाड सुरक्षा वार्ता में भाग लेंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद यह बाइडेन की पहली एशिया यात्रा होगी। एशियाई देश सद्भावना के साथ किसी भी कार्य का स्वागत करते हैं जो एशिया के शांतिपूर्ण विकास में योगदान करने के लिए तैयार है, लेकिन किसी भी कार्रवाई को स्वीकार नहीं करेंगे जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंचता है और क्षेत्रीय एकजुटता व सहयोग नष्ट होता है।
अमेरिका की इंडो-पैसिफिक संस्करण वाला नाटो बनाने और शिविरों में टकराव को उकसाने की बुरी मंशा एशिया में सफल नहीं होगी। असफल रहा मौजूदा अमेरिका-आसियान विशेष शिखर सम्मेलन अमेरिकी शैली वाले आधिपत्य के लिए नींद से जगाने वाला कॉल होगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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Source : IANS