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पश्चिम को चीन को देखते समय रंगीन चश्मा उतारना चाहिये

पश्चिम को चीन को देखते समय रंगीन चश्मा उतारना चाहिये

Updated on: 12 Nov 2021, 09:45 PM

बीजिंग:

चीन शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण कूटनीतिक नीति को कायम रखता है,और चीन समानता और पारस्परिक लाभ के आधार पर दूसरे देशों के साथ संबंधों का विकास करने को तैयार है। चीनी मीडिया भी हमेशा यथार्थवादी भावना से विश्व के समाचारों की रिपोटिर्ंग कर रही है। लेकिन, पश्चिमी देशों में कुछ लोग हमेशा चीन को निशाना बनाने का प्रयास किया करते हैं, और पश्चिम का अनुसरण करने वाले देशों की मीडिया भी हमेशा चीन के खिलाफ शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाती हैं। इसका कारण क्या है? क्या यह सिर्फ इसलिए है क्योंकि चीन ने अलग विकास पथ अपनाया है?

दुनिया का भविष्य चीन और विश्व के बीच संबंधों पर निर्भर करता है। सामंजस्यपूर्ण और सह-अस्तित्व के आधार समान भाग्य विश्व समुदाय की स्थापना सभी लोगों के हित में है। इस संबंध में, पश्चिम में कुछ तर्कसंगत विद्वानों का समान विचार भी है। हाल ही में, जर्मन यूथ ले मोंडे में प्रकाशित एक लेख में यह कहा गया है कि चीन के प्रति पश्चिम के वर्तमान रवैये में सम्मान और पूजा, साथ ही नस्लवादी अहंकार और अवमानना दोनों शामिल हैं। इस विकृत चेतना का मूल कारण यह है कि पश्चिमी समाज की विभिन्न विरोधाभास एवं विफलताएं और चीनी समाज की निरंतर उपलब्धियां साथ-साथ उभरती रही हैं, जिससे पश्चिमी लोग धीरे-धीरे सभ्यता में अपना विश्वास खो देते हैं। इन्हें चीनी उपलब्धियों के प्रति ईष्र्या के कारण चीन के खिलाफ शत्रुतापूर्ण भावना होने का मनोविज्ञान पैदा होने लगा है। उसी सामाजिक घटना के लिए, जो अन्य देशों में हुआ तो उसे नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन अगर यह चीन में हुआ हो, तो इसे निश्चित रूप से बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया जाएगा। यह चीनी समाज पर पश्चिम के असही ²ष्टिकोण को दर्शाता है।

आधुनिक काल में पश्चिम का वर्चस्व होने का कारण यह नहीं था कि उन्होंने कुछ उन्नतिशील राजनीतिक प्रणालियों का आविष्कार किया था, बल्कि ऐतिहासिक अवसरों से पश्चिम ने दूसरे राष्ट्रों से पहले औद्योगिक क्रांति को पूरा करने में सफल किया था। लेकिन तकनीकी प्रगतियां हासिल करने के बाद पश्चिम ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका आदि के राष्ट्रों के खिलाफ क्रूरता से लूटमार और उपनिवेशवादी शासन किया था। तथाकथित पश्चिमी सभ्यता पूर्वी सभ्यता से अधिक उन्नत है बिल्कुल गलत है। पूर्वी और पश्चिमी सभ्यताओं में श्रेष्ठता या हीनता का कोई भेद नहीं है। जो कोई भी सर्वप्रथम तौर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिखर तक जा पहुंचता है, वह दुनिया के भाग्य को तय कर सकेगा। यह आधुनिक इतिहास का तथ्य ही है। लोग देखते हैं कि चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद 70 से अधिक वर्षों के निर्माण से, चीनी अर्थव्यवस्था का सैकड़ों गुना विस्तार हुआ है, प्रौद्योगिकी दुनिया के अग्रणी स्तर पर पहुंच गई है, लोगों को गरीबी से छुटकारा मिला है, और चीनी राष्ट्र भी विश्व मंच के केंद्र पर लौटा है। आज चीन कोई गरीब और पिछड़ा देश नहीं रहा है, और चीनी भाषा और संस्कृति के प्रतिनिधित्व वाली पूरी चीनी सभ्यता ने फिर से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

गौरतलब है कि चीन का विकास पथ पश्चिम से बिल्कुल अलग है। चीन ने अन्य देशों के खिलाफ युद्ध, लूट या औपनिवेशिक शोषण नहीं किया। चीनी लोगों ने अपनी कड़ी मेहनत के माध्यम से आर्थिक संचय हासिल किया है। चीन का यह रुख होता है कि पूरी दुनिया को एक ही जहाज में सवार होकर एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। अपना आरंभिक विकास होने के बाद चीन ने तुरंत ही अन्य विकासशील देशों की सहायता शुरू की। उदाहरण के लिए, न्यू कोरोना वायरस महामारी का विरोध करने में, चीन ने संकट को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय करने का बीड़ा उठाया और दुनिया की औद्योगिक श्रृंखला की वसूली में महत्वपूर्ण योगदान दिया। महामारी के विरूद्ध में चीन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को लगभग 350 अरब मास्क, 4 अरब से अधिक सुरक्षात्मक कपड़े, 6 अरब से अधिक परीक्षण किट और 1.6 अरब से अधिक टीके उपलब्ध कराए हैं। चीन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के महामारी-रोधी सहयोग और विकासशील देशों को टीका बौद्धिक संपदा अधिकार सौंपने का समर्थन करता है। लेकिन इसी दौरान पश्चिमी देश, जो लोकतंत्र का एक प्रकाशस्तंभ होने का दावा करते हैं, निरंतर सामाजिक और जातीय संकटों में पड़ गए हैं।

पृथ्वी तमाम मानव जाति का एकमात्र घर है। वैश्विक गांव में, विभिन्न जातीय समूहों, विभिन्न विश्वासों और विभिन्न सभ्यताओं के बीच टकराव और शत्रुता करने से केवल आपदा जन्म पैदा हो जाएगा, इन्हें उभय-जीत सहयोग करने का एकमात्र ही रास्ता होता है। महामारी अभी भी दुनिया भर में फैल रही है, और मानव समाज में गहरा परिवर्तन होता रहा है। इस साल 12 अक्टूबर को, जैविक विविधता पर सम्मेलन के दलों के सम्मेलन की 15वीं सभा शिखर सम्मेलन में, चीनी नेता शी चिनफिंग ने जीवन के एक समान भाग्य समुदाय और एक स्वच्छ एवं सुन्दर दुनिया की स्थापना का आह्वान किया। मानव जाति के भविष्य और नियति की इस महत्वपूर्ण काल में चीन की महत्वपूर्ण भूमिका साबित रहेगी। उधर पश्चिम को भी रंगीन चश्मा उतारकर, अपने पूर्वाग्रहों को दूर करना चाहिए और चीन के साथ निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ तरीके से व्यवहार करना चाहिए, ताकि मानव समाज का जहाज शांतिपूर्ण रूप से तूफानी लहरों से पारकर खुशी एवं सुंदरता के तट तक पहुंच जा सके।

(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग )

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