संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का 49वां सम्मेलन 1 अप्रैल को स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित हुआ। सम्मेलन में चीन, पाकिस्तान, मिस्र, दक्षिण अफ्ऱीका और बोलीविया द्वारा संयुक्त रूप में प्रस्तुत प्रस्ताव पारित किया गया। यह प्रस्ताव आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के संवर्धन व संरक्षण और असमानता को दूर करने के बारे में है। कुल मिलाकर 66 देशों ने इसके पक्ष में प्रस्ताव किया।
प्रस्ताव में कोविड-19 महामारी से वैश्विक विकास के पीछे होने, गरीबी की स्थिति बढ़ने, देशों के भीतर और देशों के बीच बढ़ती हुई असमानता पर गहरी चिंता व्यक्त की गयी। प्रस्ताव में विभिन्न देशों से मौजूदा संसाधनों का अधिकतम उपयोग करके आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण करने की अपील की गयी है। साथ ही सभी देशों से सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक आश्वासन, अन्न जैसे क्षैत्रों में पूजी-निवेश करने का आह्वान भी किया गया है। ताकि कमजोर समूहों पर वित्तीय बोझ बढ़ने से बचा जा सके। प्रस्ताव में यह उल्लेख भी किया गया है कि सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को मजबूत करना और लोगों को केंद्र में रखना चाहिये।
यूएन के जिनेवा कार्यालय स्थित चीनी स्थायी प्रतिनिधि छेन श्यू ने सम्मेलन में प्रस्ताव का मसौदा पेश करते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण सभी देशों के लिये, विशेष रूप से विकासशील देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास में अभूतपूर्व चुनौतियां आयी हैं। बहुपक्षीय मानवाधिकार तंत्र पर प्रकाश डालकर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के कार्यों को सु²ढ़ बनाने का महत्व दिया जाना चाहिये। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत है।
सम्मेलन में पाकिस्तान, क्यूबा, वेनेजुएला, इंडोनेशिया, मलेशिया और बोलीविया आदि विकासशील देशों के प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव के बारे में बयान देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव को अपनाना आवश्यक है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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Source : IANS