किसान बोले- संशोधन का अर्थ- सरकार मानती है कि कानून गलत है, तो फिर...

farmers protest : मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है. सिंघू सीमा से 4 किमी दूर सोनिपथ पर किसानों ने मंगलवार को कृषि कानूनों को लेकर प्रेसवार्ता की है.

farmers protest : मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है. सिंघू सीमा से 4 किमी दूर सोनिपथ पर किसानों ने मंगलवार को कृषि कानूनों को लेकर प्रेसवार्ता की है.

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Deepak Pandey
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किसानों का आंदोलन( Photo Credit : फाइल फोटो)

farmers protest : मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है. सिंघू सीमा से 4 किमी दूर सोनिपथ पर किसानों ने मंगलवार को कृषि कानूनों को लेकर प्रेसवार्ता की है. इस दौरान पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और यूपी के किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि पंजाब समेत अन्य राज्यों के किसानों की बैठक हुई है. रोज़ एक किसान की मौत हो रही है. अब तक 13-14 किसानों की जान जा चुकी है. सभी किसान आंदोलन के शहीदों को नमन.

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किसान नेताओं ने कहा कि एनएच-8 जयपुर रोड बंद कर दिया गया है, 350 जिलों में प्रदर्शन हुआ. देश में किसान विरोधी तानाशाही सरकार है. अब लोग सड़कों पर हैं और आंदोलन देशव्यापी है. पहले तीनों कानून रद्द हो फिर सरकार से बात होगी. शहीद भाइयों के लिए 20 दिसंबर को भी नमन होगा. अब 20 साथी शहीद हो चुके हैं. सरकार ने किसानों की मौत का सौदा उद्योगपतियों से किया है. 

उन्होंने आगे कहा कि 20 दिसंबर को शहीदों को हर गांव नमन करेगा. हर शहादत का जवाब देना होगा. रविवार को हर गांव हर तहसील में हो श्रद्धांजलि सभा होगी. 50 टोल प्लाज़ा मुक्त हो चुके हैं. अगर सरकार को लगता है कि आंदोलन पंजाब का है तो पानी का मुद्दा और 10 सूत्रीय कार्यक्रम क्यों? सरकार किसानों के आंदोलन पर बेवजह आरोप लगा रही है.

किसानों ने कहा कि संशोधन का अर्थ है कि सरकार मानती है कि कानून गलत है. फिक्की सभा में मोदी का भाषण इसलिए था कि कृषि को निवेश के नाम पर लूटो. सरकार के विधायक अपने एजेंटों को किसान के नाम पर समर्थन के लिए ला रहे हैं. आने वाले समय में किसानों का सख्या बढ़ेगी और दिल्ली घिरेगी. मोदी मन की बात करते हैं, लेकिन उनके पास किसानों से मिलने का वक्त नहीं है. हमसे पीएम का गलत चुनाव हो गया.

उन्होंने आगे कहा कि किसान बात करेंगे, लेकिन पहले सरकार कानून वापस ले. हमारी मांगें ही हमारा प्रपोज़ल है. यह बेशर्म सरकार है. सरकार पर आंदोलन का कोई असर नहीं है. हमारे यहां ड्राईफूट के लंगर है, फिर भी किसान भूखहड़ताल पर हैं. किसानों के दबाव में सरकार ने शीतकालीन सत्र छोड़ा. सरकार भाग रही है. हमारे यहां एक भी किसानों को कोरोना नहीं हुआ. फिर भी जो मौत हुई वो दुर्घटना है. गांव-गांव में किसान आंदोलन के शरीदों की तस्वीर जाएगी, तब हमारा आंदोलन तेज़ होगा.

किसान नेताओं ने कहा कि हम 6 महीने की तैयारी से आए हैं. दिल्ली कूच की बात आगे देखेंगे. 4-5 दिनों में आदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ेंगी. जयपुर और आगरा हाईवे भी आगे बंद किए जाएंगे. पीएम मोदी साबित करें कि हमारी फंडिग कहा से है. हमारे किसानों के बच्चे विदेशों में है वहीं मदद कर रहे हैं. हमारा आंदोलन अहिंसक है और अराजनैतिक भी.

उन्होंने आगे कहा कि हमारे ही बच्चे आज फौज में सियाचिन में खड़े हैं. अगर कोई निजी व्यक्ति हमें हटाने आता है तो मान लीजिए कि सरकार ही दंगा करवाना चाहती है. उत्तराखंड के किसान जो सरकार से मिलने गए उनमें से 90 किसान ही नहीं थे. सरकार फूड डालना चाहती है पर हमारे 500 संगठन एक हैं. सरकार वार्ता के लिए बुलाएगी तो हम फिर जाएंगे पर रुख सकारात्मक होना चाहिए.

Source : Bhasha

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