अब सिर्फ छात्र ही नहीं बल्कि स्कूलों की भी सालाना रिपोर्ट कार्ड तैयार की जाएगी। शिक्षा मंत्रालय ने यह काम एनसीईआरटी को सौंपा है। इस रिपोर्ट कार्ड के आधार पर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में बदलाव और सुधार की वार्षिक समीक्षा हो सकेगी। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक स्वतंत्र इकाई का गठन किया जाएगा। मंत्रालय के मुताबिक इस अभियान को इस साल से ही शुरू करने की तैयारी है।
शिक्षा मंत्रालय की इस पहल के लिए फिलहाल एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। रोडमैप बनाने की जिम्मेदारी शिक्षा मंत्रालय ने एनसीईआरटी को सौंपी है। एनसीईआरटी ने इस पर काम शुरू कर दिया है और जल्द ही इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी। गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा का स्तर एवं उसकी गुणवत्ता जांचने की जिम्मेदारी एनसीईआरटी के पास ही है। एनसीईआरटी नेशनल अचीवमेंट सर्वे के जरिए यह काम करती है।
शिक्षा मंत्रालय की इस योजना को परख नाम दिया गया है। परख देश भर के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता का पता लगाएगी। परख शिक्षा मंत्रालय द्वारा बनाई जाने वाली एक स्वतंत्र एजेंसी होगी। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इसमें अनुभवी एवं प्रोफेशनल व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा। खास तौर पर ऐसी प्रोफेशनल जो कि इस तरह की आकलन प्रक्रिया का हिस्सा रहे हैं। परख द्वारा किया जाने वाला यह आकलन आनलाइन होगा।
इसके अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एनसीईआरटी की मदद से छात्रों के सीखने की स्थिति पर एक खास स्टडी की है। यह स्टडी एनसीईआरटी की मदद से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में की गई। इसका उद्देश्य 22 भारतीय भाषाओं में छात्रों की समझ के साथ पढ़ने से संबंधित मानक स्थापित करना है। इस अध्ययन में कक्षा 3 तक के लगभग 10 हजार स्कूलों के लगभग 1 लाख छात्रों को शामिल किया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह अध्ययन दुनिया में अपनी तरह का पहला अध्ययन है।
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि कक्षा-3 के अंत होने पर छात्रों के सीखने की स्थिति के बारे में सीधी जानकारी हासिल करने के लिए यह आधारभूत शिक्षण अध्ययन (फाउंडेशनल लनिर्ंग स्टडी) है। इसके लिए एनसीईआरटी द्वारा सभी राज्यों और केन्द्र- शासित प्रदेशों में सैंपल के आधार पर स्कूलों में यह फाउंडेशनल लनिर्ंग स्टडी कराई गई है।
मंत्रालय का मानना है कि सीखने के भले ही विविध आयाम हो सकते हैं, लेकिन समझ के साथ पढ़ने, बुनियादी संख्यात्मक अवधारणाओं (जैसे संख्याएं, पैटर्न इत्यादि) को लिखने और समझने की बुनियादी क्षमता आधारभूत स्तर पर सीखने के मूल लक्ष्यों से जुड़ी हुई हैं।
शिक्षा मंत्रालय ने बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक रोडमैप प्रदान करने के उद्देश्य से समझ और संख्यात्मकता के साथ पढ़ने में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल (निपुण - भारत) मिशन भी शुरू किया है।
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Source : IANS