प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि फाइलों में सिर्फ आंकड़े ही नहीं होते, बल्कि उनमें लोगों का जीवन और उनकी आकांक्षाएं भी होती हैं।
पीएम मोदी ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में 96वें सामान्य बुनियादी पाठ्यक्रम (कॉमन फाउंडेशन कोर्स) के समापन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए यह बात कही।
सिविल सेवाओं पर सरदार पटेल के विचारों का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सेवा और कर्तव्य की भावना प्रशिक्षण का अभिन्न अंग रही है। उन्होंने कहा कि आपके संपूर्ण सेवा वर्षों में सेवा और कर्तव्य के ये कारक आपकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता का पैमाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्तव्य और उद्देश्य की भावना से किया जाने वाला काम कभी बोझ नहीं होता।
पीएम मोदी ने अधिकारियों से कहा कि वे एक सकारात्मक उद्देश्य की भावना के साथ और समाज एवं देश के संदर्भ में सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनने के लिए सेवा में आए हैं।
प्रधानमंत्री ने महामारी के बाद की दुनिया में उभरती नई विश्व व्यवस्था को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के इस मोड़ पर दुनिया भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा कि इस नई विश्व व्यवस्था में भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी होगी और स्वयं को तेज गति से विकसित करना होगा। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि 21वीं सदी के सबसे बड़े लक्ष्य यानी आत्मनिर्भर भारत और आधुनिक भारत के लक्ष्य पर विशेष ध्यान देते हुए इस अवधि के महत्व को ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि हम इस अवसर को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते।
प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र से मिलने वाले अनुभव को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि फाइल के मुद्दों का वास्तविक अनुभव कार्यक्षेत्र से आता है। उन्होंने कहा कि फाइलों में सिर्फ आंकड़े ही नहीं होते, बल्कि उनमें लोगों का जीवन और उनकी आकांक्षाएं भी होती हैं। उन्होंने कहा कि आपको नंबर के लिए नहीं बल्कि लोगों की जिंदगी के लिए काम करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को हमेशा समस्याओं के मूल कारण और नियमों के अनुसार स्थायी समाधान देना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि अमृतकाल के इस दौर में हमें रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म को अगले स्तर पर ले जाना है, इसलिए आज का भारत सबका प्रयास की भावना से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने महात्मा गांधी के इस मंत्र को भी याद किया कि प्रत्येक निर्णय का मूल्यांकन अंतिम पंक्ति में अंतिम व्यक्ति के कल्याण की कसौटी पर किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर अपने जिलों की 5-6 चुनौतियों की पहचान करने और उन मुद्दों पर काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि चुनौतियों की पहचान चुनौतियों के सुधार की दिशा में पहला कदम है।
उन्होंने गरीबों के लिए पक्के घर और बिजली कनेक्शन प्रदान करने की चुनौतियों को सरकार द्वारा पहचानने का उदाहरण दिया, जिन्हें पीएम आवास योजना, सौभाग्य योजना और महत्वाकांक्षी जिलों की योजनाओं के माध्यम से पूरा किया गया। उन्होंने इन योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए नए संकल्प के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान इसे काफी हद तक संबोधित करेगा।
प्रधानमंत्री ने सिविल सेवाओं के क्षेत्र में नए सुधारों अर्थात मिशन कर्मयोगी और आरंभ कार्यक्रम का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को प्रार्थना करनी चाहिए कि उन्हें कभी भी आसान काम न मिले क्योंकि चुनौतीपूर्ण काम का अपना ही आनंद होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जितना अधिक आप कम्फर्ट जोन में जाने की सोचेंगे, उतना ही आप अपनी प्रगति और देश की प्रगति को रोकेंगे।
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को सलाह दी कि वे अकादमी से प्रस्थान के समय अपनी आकांक्षाओं और योजनाओं को रिकॉर्ड करें और उपलब्धि के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए 25 या 50 वर्षों के बाद उन्हें फिर से देखें। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से संबंधित पाठ्यक्रमों और संसाधनों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का भी आह्वान किया, क्योंकि भविष्य की समस्याओं में डेटा विज्ञान का एक बड़ा महत्व होगा और उसमें डेटा के मूल्यांकन की भी क्षमता होगी।
96वां बुनियादी पाठ्यक्रम एलबीएसएनएए का पहला सामान्य बुनियादी पाठ्यक्रम है, जिसमें नई शिक्षा और पाठ्यक्रम प्रारूप मिशन कर्मयोगी के सिद्धांतों पर आधारित है। बैच में 16 सेवाओं के 488 अधिकारी प्रशिक्षु और 3 रॉयल भूटान सर्विसेज (प्रशासनिक, पुलिस और वन) शामिल हैं।
सभी 488 अधिकारी प्रशिक्षुओं को क्राव मागा और अन्य विभिन्न खेलों में प्राथमिक स्तर का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS