दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय तिहाड़ जेल के कैदियों के लिए कौशल आधारित पाठ्यक्रम शुरू करेगा।
विश्वविद्यालय के मुताबिक तिहाड़ जेल में कौशल आधारित विभिन्न पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। पाठ्यक्रम पूर्ण होने पर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। यह प्रमाण पत्र कैदियों को जेल से रिहा होने पर नौकरी हासिल करने के लिए मान्य होगा।
विश्वविद्यालय जेल परिसर के भीतर पहचाने गए समूहों के लिए कौशल आधारित पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए प्रशिक्षकों को तैनात करेगा। यह प्रस्तावित है कि बाजार की आवश्यकताओं का विस्तृत मूल्यांकन करके कैदियों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।
विश्विद्यालय की वाइस चांसलर प्रोफेसर नेहारिका वोहरा ने इसपर कहा, हम इसे न केवल एक कौशल प्रोग्राम के रूप में देखते हैं बल्कि यह कैदियों में आत्मसम्मान बढ़ाने में सहायता करेगा। इस पहल के माध्यम से हम कैदियों को रिहा होने पर सम्मानजनक जीवन जीने का दूसरा मौका देना चाहते हैं। कौशल विकास के साथ, हम कैदियों को मूलभूत समर्थन एवं भावनात्मक-मनोवैज्ञानिक कल्याण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
डीजी तिहाड़ संदीप गोयल ने तिहाड़ जेल के साथ साझेदारी करने के लिए विश्वविद्यालय को बधाई दी और कहा कि यह समय की आवश्यकता है और इस तरह से एक मजबूत संस्थागत सहयोग के साथ हम दीर्घकालिक सुधार का लक्ष्य रख सकते हैं। हम विभिन्न कौशल पाठ्यक्रमों को जोड़ कर इस प्रोग्राम का विस्तार कर सकते हैं, जिससे रिहा होने पर कैदियों को रोजगार मिलेगा। इससे कैदियों को नए सिरे से सम्मानजनक जीवन जीने का मौका मिलेगा।
प्रो. रिहान खान सूरी, प्रो वाइस चांसलर, कौशल विश्वविद्यालय ने कहा कि विश्वविद्यालय सभी नामांकित प्रतिभागियों को व्यक्तित्व विकास, उद्यमशीलता पूर्वक मानसिकता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल साक्षरता एवं अंग्रेजी प्रशिक्षण में भी सहयोग करेगा। हम तिहाड़ जेल में मौजूदा कौशल पहल एवं योग्य उम्मीदवारों को प्रमाणित करने की मान्यता पर भी गौर करेंगे।
विश्वविद्यालय तिहाड़ जेल कौशल कार्यक्रमों के वितरण में नवाचार के लिए प्रमुख विशेषज्ञों के साथ संयुक्त कार्यशालाएं, सेमिनार, सम्मेलन भी आयोजित करेगा। यह भी इरादा है कि चिन्हित समूहों के क्षमता निर्माण के साथ-साथ जेल परिसर के भीतर जेल कर्मचारियों के लिए विशेष कार्यक्रम भी चलाए जा सकते हैं। तिहाड़ में कार्यक्रम जुलाई 2022 से शुरू होने की उम्मीद है।
कैदियों की शिक्षा बीच में न छूटे इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की भी एक यूनिट द्वारा विशेष पहल की जा रही है। इस पहल के अंतर्गत कैदियों को उनकी पात्रता और इच्छा के अनुरूप विभिन्न कोर्सो में दाखिला अथवा पाठ्यक्रमों में दाखिला मिल सकेगा। जेल में सजा काटने के दौरान कैदी जेल के अंदर ही अपनी कक्षाएं लेंगे। उन्हें स्टडी मैटेरियल भी उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही सजा काट रहे इन कैदियों की जेल में ही परीक्षाएं भी होंगी।
कैदियों को यह शिक्षा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। एनआईओएस केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक संस्थान है। यहां से प्राप्त की गई डिग्री डिप्लोमा अथवा अन्य कोई सर्टिफिकेट जेल के बाहर आगे की पढ़ाई में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। एनआईओएस के मुताबिक इन डिग्री डिप्लोमा व सर्टिफिकेट के आधार पर जेल से रिहा होने वाले कैदियों को जेल के बाहर इससे संबंधित आगे की शिक्षा में इन डिग्रियों के आधार पर दाखिला ले सकते हैं।
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Source : IANS