वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को आम बजट पेश किया। बजट में लगभग सभी तबके के लोगों को सौगात दी गई है। यूपी के अर्थशास्त्रियों ने बजट रोजगार बढ़ेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रफ्तार भी मिलेगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एमके अग्रवाल का कहना है कि इस बजट को पर्यावरण के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसी रणनीति के तहत कृषि विकास के आधुनिकीकरण के साथ प्राकृतिक खेती पर जोर दिया गया है। इससे एक तरफ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और दूसरी ओर खेती में उत्पादन लागत कम होने से कृषि विकास पोषणीय व लाभकारी होगी। बताया कि बजट में अवस्थापना सुविधाओं पर ज्यादा धन आवंटित किया गया है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
राजधानी लखनऊ स्थित शकुन्तला मिश्रा विश्वविद्यालय के प्रो. एपी तिवारी ने बजट को विकासगामी बताया और कहा कि इसमें रोजगार बढ़ने की संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि बजट में जहां विकास को गति देने की कोशिश है, वहीं कौशल विकास एवं सामथ्र्य विकास के जरिये युवाओं को रोजगार योग्य बनाने पर फोकस है। साथ ही सबसे बड़ी कसौटी जो राजकोषीय संतुलन से जुड़ी है, उस पर यह बजट खरा उतरता है।
तिवारी ने कहा कि खेती किसानी एवं महिला, दलित, आदिवासी एवं वृद्ध जनों के लिए बजट में जो प्रावधान किये गये हैं, उससे खपत बढ़ेगी तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को खास ताकत मिलेगी। साथ ही प्राकृतिक खेती एवं मोटे अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहन देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बुनियादी तौर पर वृद्धि का प्रयास किया गया है।
वरिष्ठ अर्थशास्त्री डा. यशवीर त्यागी ने कहा कि इस बजट में वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देकर पर्यावरण और विकास के विविध आयामों के बीच अच्छा संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। कहा कि इस बजट में मध्यम वर्ग और वेतनभोगी कर्मचारियों को आयकर में राहत देकर बड़ी सुविधा दी गई है। आयकर का न्यूनतम स्लैब ढ़ाई से तीन लाख कर दिया गया है। वहीं वैकल्पिक व्यवस्था पांच से सात लाख कर दी गई है।
प्रयागराज स्थित इविंग क्रिश्चियन पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के अर्थशास्त्री डा. विवेक निगम ने भी आम बजट को रोजगारपरक और लोककल्याणकारी बताया है। उनका कहना है कि बजट में अवस्थापना सुविधाओं पर 35 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी से प्रत्यक्ष रोजगार में भारी इजाफा होगा। इसके अलावा आयकर के नये स्लैब से मध्यम आय वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिली है।
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Source : IANS